शिमला/फरीदाबाद:सूरजकुंड में चल रहे 34वें अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में आप हिमाचल पहाड़ी संगीत का भी लुत्फ उठा सकते हैं. हिमाचल के इस पहाड़ी संगीत को हिमाचल के कलाकार बेहद साज-सज्जा के साथ पेश कर रहे हैं.
सूरजकुंड मेले का स्टेट थीम इस बार हिमाचल को बनाया गया है तो मेले में कहीं ना कहीं हिमाचल अपनी संस्कृति की महक बिखेर रहा है. ऐसा ही कुछ नजारा है मेले के मुख्य सड़क पर, जहां हिमाचली कलाकारों द्वारा अपना घर तैयार किया गया है और ठीक अपने घर के बाहर पहाड़ी संगीत को लोगों को सुनाते हिमाचल के कलाकार बैठे हुए हैं.
शुक्रवार को सुरजकुंड मेले में हिमाचल प्रदेश के चंबा जिला की संस्कृति की झलक देखने को मिली. मेले में आए चंबयाली कलाकारों ने मुसादा गायन सुनाकर लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया.
इस संगीत को खंजरी रुबाना के नाम से भी जाना जाता है. ये संगीत पहाड़ों पर बाबा भोले की साधना के लिए हिमाचल में गाया जाता है. इसके अलावा धार्मिक संस्थानों और शादी समारोह में संगीत के बिना कोई काम शुरू नहीं किया जाता.
35 सालों से पहाड़ी गाने गा रहे हैं धनीराम
पहाड़ी कलाकार धनीराम ने बताया कि ये उनका पारंपरिक संगीत है और पिछले लगभग 35 सालों से वो ये संगीत गा रहे हैं. उन्होंने कहा कि वो हिमाचल के चम्बा के रहने वाले हैं और उनसे पहले उनके पिताजी इस संगीत की दुनिया से जुड़े हुए थे.
उन्होंने कहा कि सूरजकुंड के मेले में वो पहाड़ी संस्कृति और पहाड़ी संगीत से आने वाले पर्यटकों का परिचय करवा रहे हैं. उन्होंने कहा कि वो पिछले कई सालों से मेले में आ रहे हैं और हिमाचल की संस्कृति और संगीत को मेले में आने वाले लोग बहुत ही पसंद कर रहे हैं. तो अगर आप मेला देखने आते हैं तो आप पहाड़ी संगीत का मजा ले सकते हैं.