शिमला: हिमाचल भारत का एप्पल बाउल कहलाता है. यहां सालाना तीन से पांच करोड़ पेटी सेब का उत्पादन होता है. हिमाचल में इस समय औसतन प्रति हेक्टेयर 18 से 25 मीट्रिक टन सेब पैदा हो रहा है. चीन और अमेरिका में यह आंकड़ा प्रति हेक्टेयर 45 से 55 मीट्रिक टन है. हिमाचल प्रदेश के बागवान जल्द ही प्रति हेक्टेयर उत्पादन में चीन और अमेरिका को पछाड़ने की स्थिति में आ जाएंगे. इसका अंदाजा यूं लगाया जा सकता है कि कुछ प्रगतिशील बागवानों ने इस दिशा में सफलता भी हासिल कर ली है. सेब उत्पादन के यूथ आइकॉन संजीव चौहान तो सात साल पहले ही निजी तौर पर रिकॉर्ड सेट कर चुके हैं. उन्होंने प्रति हेक्टेयर 55 से 60 मीट्रिक टन सेब पैदा किए हैं.
हिमाचल प्रदेश में कुल सेब उत्पादन का 80 फीसदी शिमला जिला में होता है. हिमाचल में सेब उत्पादन का सफर 100 साल से अधिक का हो गया है. इस दौरान युवाओं ने अपने परिश्रम से सेब उत्पादन में कई रिकॉर्ड बनाए हैं. आलम यह है कि अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर के बागवान भी सीख लेने के लिए हिमाचल के बागवानों के पास आते हैं. हिमाचल के युवा बागवान इन राज्यों में निशुल्क कैंप लगाकर सेब उत्पादन की बारीकियां सिखाते हैं इनमें संजीव चौहान, कुनाल चौहान, पंकज डोगरा, डिंपल पांजटा का नाम प्रमुख है. यदि संजीव चौहान की बात की जाए तो वर्ष 2014 में उन्होंने अपने बागीचे में 60 मीट्रिक टन तक सेब उगाए.
यहां उस सफलता की संक्षिप्त जानकारी दर्ज करना जरूरी है. तब संजीव चौहान की सफलता को फ्रूट वर्ल्ड पत्रिका ने भी सलाम किया था. विख्यात बागवानी वैज्ञानिक और फ्रूट वर्ल्ड पत्रिका के सूत्रधार डॉ. चिरंजीत परमार ने इस ऑनलाइन पत्रिका के 2014 के अंक में संजीव चौहान की सफलता पर खास लेख लिखा था. उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014 में संजीव चौहान के बागीचे में प्रति हेक्टेयर सेब की पैदावार करीब 60 मीट्रिक टन हुई थी. यह विश्व में रिकॉर्ड उत्पादन करने वाले देशों चीन व अमेरिका से कहीं ज्यादा है. चीन व अमेरिका में प्रति हेक्टेयर सेब उत्पादन का रिकॉर्ड 35 से 40 मीट्रिक टन है. तब संजीव चौहान के इस रिकॉर्ड उत्पादन की पुष्टि हिमाचल के बागवानी विभाग के तत्कालीन निदेशक डॉ. गुरदेव सिंह व बागवानी तथा औद्यानिकी यूनिवर्सिटी नौणी के कुलपति डॉ. विजय ठाकुर ने भी की थी.
संजीव चौहान वर्ष 2013 से ही लगातार उत्पादन बढ़ाने की तकनीकों को लेकर प्रयोग कर रहे थे. अभी भी संजीव चौहान पर केंद्रित वह लेख वेबसाइट पर फोटो सहित देखा जा सकता है. वेबसाइट डबल्यूडबल्यूडबल्यू डॉट एफआरयूआईपीईडीए डॉट कॉम (www.fruipeda.com) के नाम से है. संजीव चौहान कोटखाई के बखोल गांव के रहने वाले हैं. वर्ष 2014 में उनके बागीचे में 60 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर सेब पैदा हुआ था.
विश्व के नंबर एक सेब उत्पादक देश चीन की प्रति हेक्टेयर अधिकतम उत्पादन 35 से 40 मीट्रिक टन है. अमेरिका में यह आंकड़ा भी 35 मीट्रिक टन है. चीन व अमेरिका बागवानी में आधुनिक तकनीक व नई खोज से लैस रहते हैं, लेकिन हिमाचल के दूरस्थ गांव में युवा बागवान ने अपनी मेहनत व सोच के बूते यह सफलता हासिल की. उल्लेखनीय है कि संजीव चौहान को वर्ष 2013 में बंगलुरू में आयोजित समारोह में उत्कृष्ट बागवानी के लिए राष्ट्रीय सम्मान भी मिला था. इसके अलावा उनके खाते में राज्य स्तरीय सम्मान सहित अन्य कई सम्मान भी दर्ज हैं.