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Himachal Seat Scan शिमला शहरी विधानसभा सीट पर बीजेपी का दबदबा, जानिए इस साल क्या हैं चुनावी समीकरण - शिमला शहरी विधानसभा क्षेत्र से विधायक

Shimla Assembly Constituency Ground Report, हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 से पहले ETV भारत प्रदेश के सभी 68 विधानसभा क्षेत्रों के सूरत ए हाल से रूबरू करवा रहा है. हिमाचल सीट स्कैन में आज हम शिमला शहरी विधानसभा क्षेत्र की बात करने जा रहे हैं. कुल 68 विधानसभा क्षेत्रों में ये 63वीं विधानसभा सीट है. वैसे तो इस सीट पर बीजेपी का दबदबा रहा है, लेकिन जिले में एक मात्र कैबिनेट मंत्री की सीट होने के नाते चुनावी समय में इसका महत्व कई गुणा बढ़ जाता है. तो आइए जानते हैं कि आखिर इस सीट पर चुनावी समीकरण क्या हैं...

Shimla Assembly Constituency ground report
शिमला विधानसभा क्षेत्र की ग्राउंड रिपोर्ट

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Published : Aug 23, 2022, 5:28 PM IST

शिमला: हिमाचल विधानसभा चुनावों (himachal assembly elections 2022) को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने कमर कस ली है. कई बड़े चेहरे इस चुनावी मैदान में दाव पर होंगे. हिमाचल सीट स्कैन (Himachal Seat Scan) में आज हम बात करेंगे शिमला शहरी विधानसभा सीट की. शिमला शहरी कैबिनेट मंत्री सुरेश भारद्वाज का निर्वाचन क्षेत्र है. जिले में एक मात्र कैबिनेट मंत्री की सीट होने के नाते इस सीट का महत्व और भी बढ़ जाता है. तो आइये जानते हैं आखिर यहां की जनता का मूड क्या है.

शिमला शहरी विधानसभा क्षेत्र (Shimla Assembly Constituency ground report) से शहरी विकास, नगर नियोजन, कानून और संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज की प्रतिष्ठा दांव पर होगी. सुरेश भारद्वाज ने 1990, 2007, 2012 और 2017 में यहां से विधायक के रूप में प्रतिनिधित्व किया है, लेकिन यह पहली बार है कि शिमला विधानसभा क्षेत्र को मंत्रिमंडल में स्थान मिला हो.

शिमला विधानसभा क्षेत्र में भाजपा का दबदबा: पिछले लंबे समय से शिमला शहरी विधानसभा क्षेत्र (Shimla Assembly Constituency ) पर भाजपा क ही दबदबा रहा है. कुछ एक विधानसभा चुनाव छोड़ दें तो यहां 1967 से ही भाजपा चुनाव जीतती आ रही है. विधानसभा चुनाव 1967, 1972, 1977 और 1982 में पहले जनता दल और फिर भाजपा से दौलत राम चौहान ने लगातार चुनाव जीते. हालांकि 1985 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी हरभजन सिंह भज्जी ने जीत हासिल की. इसके बाद 1990 में फिर से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी सुरेश भारद्वाज (Shimla Assembly Constituency MLA Suresh Bhardwaj) ने जीत हासिल की. 1993 के विधानसभा चुनावों में सीपीआई(एम) से राकेश सिंघा, 1996 में कांग्रेस से आदर्श सूद, 1998 में भाजपा की टिकट पर नरेंद्र बरागटा ने जीत हासिल की. 2003 में कांग्रेस के हरभजन सिंह भज्जी और उसके बाद से सुरेश भारद्वाज लगातार जीत हासिल कर रहे हैं.

शिमला शहरी विधानसभा सीट से विधायक सुरेश भारद्वाज.

साल 2017 में शिमला विधानसभा सीट पर जीत का अंतर:वर्ष 2017 के विधानसभा चुनावों की बात करें तो शिमला शहरी विधानसभा सीट पर मुकाबला काफी कड़ा रहा. बीजेपी प्रत्याशी सुरेश भारद्वाज को 14,012 वोट मिले और 43.2% मत हासिल हुआ. वहीं, निर्दलीय उम्मीदवार हरीश जनारथा को 12,109 वोट मिले उन्हें 37.39% मत हासिल हुआ. सीपीआई(एम) उम्मीदवार संजय चौहान को 3,047 वोट मिले और इस तरह से उन्होंने 9.42% वोट हासिल किया. वहीं, कांग्रेस उम्मीदवार हरभजन सिंह भज्जी ने 2,680 मत हासिल किया, भज्जी को इस चुनाव में 8.27% मत हासिल हुआ. इस तरह से भाजपा ने यहां केवल 1903 वोट के अंतर से जीत हासिल की थी.

2017 में शिमला शहरी विधानसभा सीट पर जीत का अंतर.

कांग्रेस से बगावत कर आजाद प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में उतरे हरीश जनारथा दूसरे नंबर पर रहे. हालांकि कांग्रेस के उम्मीदवार हरभजन सिंह भज्जी को केवल 2,680 वोट मिले और उनकी जमानत जब्त हो गई. शिमला शहरी सीट पर सीपीआई(एम) का भी अच्छा वोट शेयर रहा. एक बार सीपीआईएम के टिकट पर 1993 में राकेश सिंघा ने जीत हासिल की थी, लेकिन उसके बाद से सीपीआईएम का प्रत्याशी जीत हासिल नहीं कर सका.

शिमला शहरी विधानसभा सीट पर जीत का अंतर.

शिमला शहरी विधानसभा क्षेत्र में मतदाता:हिमाचलविधानसभा चुनाव 2022 (Himachal assembly elections 2022) के लिए शिमला शहरी विधानसभा क्षेत्र में 91 मतदान केन्द्र स्थापित किए गए हैं. विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या 47,966 है, जिनमें 25,095 पुरुष मतदाता तथा 22,871 महिला मतदाताओं की संख्या है.

शिमला शहरी विधानसभा क्षेत्र में मतदाता.

कांग्रेस और भाजपा में टिकट के कई चाहवान: शिमला शहरी विधानसभा सीट (Shimla Assembly Seat) पर दोनों ही राजनीतिक दलों में टिकट के चाहवानों की लिस्ट लंबी है. कांग्रेस में पिछली बार निर्दलीय चुनाव लड़े हरीश जनारथा फिर से कांग्रेस में वापस आ गए हैं और इस बार कांग्रेस से टिकट की उम्मीद लगाए हैं. पूर्व विधायक आदर्श सूद भी अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं. इसके अलावा भी कांग्रेस कई प्रदेश पदाधिकारी इस बार शिमला शहरी से चुनाव लड़ने की इच्छा में हैं. भाजपा में भी कई वरिष्ठ कार्यकर्ता टिकट की उम्मीद लगाए बैठे हैं. कैबिनेट मंत्री सुरेश भारद्वाज भी चुनावों के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. इस बार दोनों ही राजनीतिक दलों के लिए शिमला शहरी से सही टिकट देना एक बड़ी चुनौती होगा.

शिमला शहरी विधानसभा सीट पर चुनावी जंग.

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के दम पर चुनावी मैदान में उतरेगी भाजपा: भाजपा इन चुनावों में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के सहारे ही चुनावी मैदान में उतरना चाहेगी. प्रदेश में लंबे समय से स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का कार्य चल रहे हैं. वर्ष 2017 से शिमला को स्मार्ट सिटी के कुल 117 प्रोजेक्ट में से अधिकांश प्रोजेक्ट पर अभी काम चला हुआ है, जबकि कुछ एक प्रोजेक्ट ऐसे हैं, जिन पर काम शुरू ही नहीं हुआ है. इनमें फुट ओवर ब्रिज जैसे काम शामिल हैं. स्मार्ट सिटी के तहत यह कार्यं 2017 में शुरू हुए थे, लेकिन चार साल बीत जाने के बाद अब आधे कार्य की पूरे हुए हैं.

स्मार्ट सिटी के तहत होने हैं ये काम: शिमला शहरी विधानसभा क्षेत्र में स्मार्ट सिटी प्रजोक्ट (smart city project in shimla) के तहत कई कार्य प्रस्तावित हैं. रि-डेवलपमेंट प्रपोजल के तहत यह कार्य होंगे.

  1. डीडीयू अस्पताल के पुराने भवन का पुनर्निर्माण.
  2. आइस स्केटिंग रिंक का जीर्णोद्धार.
  3. ओल्ड बस स्टैंड का जीर्णोद्धार, पार्क व म्यूजियम का निर्माण.
  4. कृष्णानगर मिडिल स्कूल की मरम्मत.
  5. मुख्य सड़कों के किनारे फुटपाथ, रेलिंग, तहबाजारियों के लिए वेंडिंग एरिया.
  6. 5000 गाड़ियों के लिए नई पार्किंग, पानी और सीवरेज सिस्टम में बदलाव.

रेट्रोफिट प्रपोजल के तहत होंगे यह कार्य: वहीं, शिमला शहरी विधानसभा क्षेत्र में रोट्रोफिट प्रपोजल के तहत भी कई कार्य प्रस्तावित हैं.

  1. 53 बस स्टॉपों का डेवलपमेंट कार्य.
  2. कार्ट रोड से मॉलरोड तक एस्केलेटर, लिफ्ट.
  3. बिजली और टेलीफोन की फाइबर केबल से अंडरग्राउंड डक्टिंग.
  4. कार्ट रोड, संजौली, ओल्ड बस स्टैंड, छोटा शिमला से कसुम्पटी रोड की वाइडनिंग.
  5. 42 बावड़ियों का संरक्षण और 67 नालों की चैनलाइजेशन का कार्य.
  6. रेलवे लाइन का सुधार, मॉलरोड और लोअर बाजार के ऐतिहासिक महत्व के भवनों की रेट्रोफिटिंग.

बता दें कि स्मार्ट सिटी के तहत सभी कार्य तेजी से पूरे किए जा रहे हैं. 216 करोड़ रुपये की लागत से शुरू हुए 117 में से अधिकांश के काम पूरे किए जा चुके हैं.

पेयजल किल्लत और ट्रैफिक जाम चुनावी मुद्दे:वर्षों से राजधानी शिमला में ट्रैफिक जाम और पेयजल किल्लत ही सबसे बड़े चुनावी मुद्दे (Shimla Assembly Constituency) बने हुए हैं. कोई भी सरकार इन समस्याओं का समाधान नहीं निकाल पाई है. अभी तक लोगों को जहां तीसरे से चौथे दिन पानी मिल रहा था, वहीं इसकी संभावना आने वाले दिनों में और कम हो सकती है. शहर में रोजाना पानी (Water Problem in Shimla) की मांग 40-45 एमएलडी है, अगले तीन दिन शहर में यदि सैलानियों की आमद रहती है तो होटलों में पानी के लिए मांग बढ़ जाती है। इस पानी से पूरे शहर की मांग को पूरा करना शिमला जल प्रबंधन निगम के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है.

शिमला शहरी विधानसभा क्षेत्र के मुद्दे.

राजधानी शिमला में ट्रैफिक जाम से हर व्यक्ति परेशान है. लोगों को ट्रैफिक जाम से निजात दिलाने के लिए शिमला पुलिस ने लोगों के सुझाव भी मांगे थे. पुलिस के पास 3800 सुझाव आए. शिमला पुलिस के फेसबुक पेज, ट्विटर के अलावा अन्य माध्यमों से लोगों ने अपने अपने सुझाव भेजे. कई सुझाव तो पुलिस के लिए भी चौंकाने वाले हैं. लोगों ने कहा है कि राजधानी और हिल स्टेशन होने के चलते यहां पर वाहनों की संख्या ज्यादा है. लोगों ने सुझाव दिया है कि शिमला से राजधानी को ही बदल दिया जाए. ऐसा करने से ट्रैफिक जाम की आधे से ज्यादा समस्या अपने आप दूर हो जाएगी.

सबसे ज्यादा सुझाव कार्ट रोड पर जाम को खत्म करने के लिए आ रहे हैं. लोगों ने सुझावों में कहा है कि बालूगंज से विधानसभा तक मार्ग को पहले की तरह प्रतिबंधित किया जाए. लोगों का तर्क है कि सबसे ज्यादा जाम (traffic jam problem in shimla assembly constituency) यहीं पर लगता है. राजधानी शिमला में ट्रैफिक जाम से पर्यटन कारोबार भी प्रभावित हो रहा है. पिछले दिनों गुजरात और केरल टूअर एंड ट्रैवल एसोसिएशन ने शिमला का बायकाट किया है. वे शिमला को पर्यटक भेजने के बजाय मनाली व कश्मीर को भेज रहे हैं.

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