शिमलाः कोविड-19 के संकट के बीच में जब सभी सरकारी और निजी स्कूल पूरी तरह से बंद हैं. और छात्रों की पढ़ाई नहीं हो रही है. मात्र ऑनलाइन ही कक्षाएं बच्चों की निजी और सरकारी स्कूल लगा रहे हैं.
बावजूद इसके प्रदेश में निजी स्कूलों की मनमानी रुकने का नाम नहीं ले रही है. पहले जहां अभिभावकों पर लगातार निजी स्कूलों की ओर से फीस जमा करवाने का दबाव बनाया जा रहा था. वहीं, अब फीस दरों में भी बढ़ोतरी भी कर दी गई है.
कई तरह के फंड वसूलने के नाम पर स्कूलों ने 10 से 20 फीसदी तक की बढ़ोतरी फीस दरों में कर दी है और अभिभावकों पर बढ़ी हुई दरों पर फीस जमा करवाने का दबाव बनाया जा रहा है.
हालांकि निजी स्कूलों की इस मनमानी को लेकर अभिभावकों की आवाज उठाने के लिए बनाए गए छात्र अभिभावक मंच ने शिक्षा मंत्री से निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगने की मांग की है.
इसी के चलते सरकार की ओर से निजी स्कूलों को जब तक आगामी आदेश जारी नहीं होने तक निजी स्कूल पर फीस मांगने को लेकर रोक लगाई गई है, लेकिन कुछ निजी स्कूल इन आदेशों का भी पालन नहीं कर रहे है और अभिभावकों पर लगातार फीस जमा करवाने का दबाव बना रहे है.
अभिभावकों का कहना है कि निजी स्कूल हर साल फीस दरों में 10 से 20 फीसदी की बढ़ोतरी कर देते है. इस बार भी कई स्कूलों ने यह बढ़ोतरी ट्यूशन फीस को छोड़कर अन्य फंड के नाम पर की गई है.
वहीं, कुछ अभिभावक तो ऐसे भी है जिन्होंने स्कूल के एक आदेश पर फीस जमा करवा दी है. फीस के साथ ही बच्चों के बस का किराया भी दे दिया है, लेकिन मार्च महीने से लेकर अभी तक छात्र स्कूल ही नहीं गए हैं.
दिल्ली और हरियाणा की तर्ज पर माफ हो फीस
अभिभावकों ने सरकार से मांग उठाई है कि दिल्ली और हरियाणा की तर्ज पर ही प्रदेश में निजी स्कूलों को मार्च महीने से लेकर मई माह तक कि फीस माफ करने को लेकर आदेश जारी करें और स्कूलों को मात्र ट्यूशन फीस लेने का ही अधिकार इस संकट के समय में दिया जाए.
सरकार निजी स्कूलों का भी देख रही पक्ष
वहीं, अभिभावकों की मांग पर अभी तक प्रदेश सरकार की ओर से कोई फैसला नहीं लिया गया है. हालांकि कई बार इस मामले पर चर्चा हो चुकी है और कैबिनेट में भी निजी स्कूलों की फीस बढ़ोतरी के साथ ही फीस माफी का मामला जा चुका है,
लेकिन सरकार का कहना है कि निजी स्कूलों का पक्ष भी इस पूरे मामले पर देखना जरूरी है. निजी स्कूलों को शिक्षकों को वेतन देना है और उन्हें यह भी निर्देश है कि इस संकट की घड़ी में किसी भी शिक्षक को नौकरी से न निकाला जाए. ऐसे में सरकार यह देख रही है कि कौन-कौन से हेड से फीस माफ कर अभिभावकों को राहत दी जा सकती है. शिक्षा मंत्री का कहना है कि इस मामले पर जल्द फैसला लिया जाएगा.
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