शिमला: देवभूमि हिमाचल के पर्यटन को पंख लगाने के लिए देश भर से शिमला के लिए हवाई यात्रा (Delhi to Shimla air travel) की सुविधा जरूरी है. यदि दिल्ली से शिमला के लिए नियमित हवाई यात्रा की सुविधा फिर से शुरू हो जाए तो सालाना अकेले दिल्ली से ही शिमला के लिए दस लाख से अधिक सैलानी आएंगे.
दिल्ली से शिमला की हवाई यात्रा का सफर महज 55 मिनट का है. इस समय शिमला का जुब्बड़हट्टी एयरपोर्ट हवाई यातायात के लिए उपलब्ध नहीं है. हवाई पट्टी के विस्तार को लेकर हो रहे निर्माण के कारण ये बंद है. यदि दिल्ली, चंडीगढ़ व देश के अन्य महानगरों से शिमला के लिए फ्लाइट नियमित उड़ने लगें तो हिमाचल के पर्यटन को पंख लग जाएंगे. इस समय हिमाचल में सालाना पौने दो करोड़ सैलानी आते हैं. दिल्ली से शिमला सड़क मार्ग तय करने में आठ घंटे का सफर करना पड़ता है. ऐसे में सैलानी दिल्ली से शिमला आने को टालना बेहतर समझते हैं. करीब एक दशक से शिमला के जुब्बड़हट्टी एयरपोर्ट के लिए हवाई सेवा बंद है.
हिमाचल की अर्थ व्यवस्था को सहारा देने में पर्यटन सेक्टर का अच्छा खासा योगदान है. प्रदेश में शिमला के अलावा मंडी जिला में अंतरराष्ट्रीय स्तर का ग्रीन फील्ड हवाई अड्डा बनना है. यदि शिमला व मंडी के लिए बड़े हवाई जहाज आना शुरू हो जाएं तो हिमाचल प्रदेश में सालाना ढाई करोड़ सैलानियों की आमद हो सकेगी. यहां उल्लेख करना जरूी है कि शिमला के जुब्बड़हट्टी एयरपोर्ट में हवाई पट्टी धंसने के कारण सितंबर 2012 से हवाई उड़ानें करीब-करीब बंद हैं. जब ये सुविधा मौजूद थी तो अकेले हवाई मार्ग से ही हर साल छह लाख सैलानी शिमला पहुंचते थे.
हवाई उड़ानें बंद होने पर एक जागरुक नागरिक पारस धौल्टा ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर आग्रह किया कि न्यायालय राज्य व केंद्र सरकार सहित संबंधित अथॉरिटीज को जल्द हवाई पट्टी चौड़ी करने और हवाई यात्रा सेवा बहाल करने के लिए उपयुक्त निर्देश दें. तब हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने केंद्र, राज्य सरकार व डीसी शिमला, सोलन सहित लोक निर्माण विभाग एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया आदि को उपयुक्त आदेश जारी किए थे.
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एयरपोर्ट अथॉरिटी ने बाद में हाईकोर्ट के समक्ष बहाना बनाया कि एयरटेल कंपनी का मोबाइल टावर बाधा बन रहा है. तब अदालत ने एक हफ्ते में मोबाइल टॉवर हटाने के आदेश दिए थे. हवाई पट्टी को 30 मीटर तक चौड़ा किया जाना था, ताकि बड़े हवाई जहाज उतर सकें. बाद में हवाई अड्डे के रनवे को 26 मीटर से बढ़ाकर साठ मीटर करने की प्रक्रिया शुरू हुई थी. इसके लिए 96 करोड़ रुपए का बजट दिया गया है. वैसे तो जुब्बड़हट्टी एयरपोर्ट से हवाई यात्रा की सुविधा का लक्ष्य फरवरी 2022 में तय किया गया था, लेकिन अभी ये संभव नहीं दिखाई दे रहा.
इससे पूर्व हवाई पट्टी चौड़ी करने के बाद भी शिमला से हवाई उड़ान शुरू करने के रास्ते में 75 करोड़ रुपए की वाइबल गैप फंडिंग का फेर फंस गया था. एयर इंडिया ने शिमला के लिए हवाई उड़ान सेवाएं देने से इसलिए मना किया था कि यात्रियों की कमी के कारण उसे घाटा होगा.
इस घाटे को ही वाइबल गैप फंडिंग कहते हैं. एयर इंडिया 75 करोड़ रुपए की वाइबल गैप फंडिंग का खर्च उठाने को तैयार नहीं था. एयर इंडिया की मांग थी कि केंद्र सरकार ये खर्च उठाए. बाद में ये मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंचा था. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को पहाड़ी राज्यों के लिए सस्ती हवाई सेवा उपलब्ध करवाने का आदेश दिया था.