शिमला: सोलन जिले में महर्षि मर्कंडेश्वर यूनिवर्सिटी (एमएमयू) सहित एमएमयू मेडिकल कॉलेज अस्पताल पर निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग द्वारा लगाए गए 45 लाख जुर्माने के (recovery of fine from MMU University Solan) वसूली पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. हिमाचल हाईकोर्ट के (Himachal Pradesh High Court) मुख्य न्यायाधीश अमजद एहतेशाम सईद व न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने इस मामले में एमएमयू की तरफ से दाखिल याचिका की प्रारंभिक सुनवाई की. सुनवाई के बाद खंडपीठ ने 45 लाख रुपए जुर्माने की वसूली पर फिलहाल रोक लगा दी है.
मामले से जुड़े तथ्यों के अनुसार निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग ने अधिक फीस वसूली के आरोप की जांच में पाया था कि वर्ष 2012 से 2020 की अवधि के दौरान लगभग 1100 एमबीबीएस छात्रों से 103 करोड़, 96 लाख 53 हजार रुपए की अतिरिक्त ट्यूशन फीस वसूल की गई है. इस पर निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग ने एमएमयू कुमारहट्टी पर 45 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था.
निजी शिक्षण संस्थान की तरफ से जुर्माना लगाए जाने के आदेश को एमएमयू प्रबंधन ने हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी. एमएमयू की ओर से दाखिल याचिका में दलील दी गई है कि प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग के आदेश को लेकर कोरम पूरा नहीं था. आयोग द्वारा जारी आदेश पर फुल कोरम के हस्ताक्षर नहीं थे. वहीं, इस मामले में आयोग की ओर से अदालत को बताया गया कि कुल दो सदस्यों ने मामले की सुनवाई की थी. एक सदस्य शशिकांत शर्मा ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किए क्योंकि उनकी बेटी भी एमएमयू में नामांकित थी.