शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक एहम फैसले में दो सिविल जजों की नियुक्तियों को खारिज कर दिया. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि नियमों के विपरीत पूरी की गई चयन प्रक्रिया अवैध है. इसलिए इन नियुक्तियों को रद्द किया जाता है. अदालत ने अपने निर्णय में आगे कहा कि न्याय प्रक्रिया में जनमानस के गूढ़ विश्वास के दृष्टिगत यह वांछित है कि इस प्रक्रिया से जुड़े लोगों का चयन पारदर्शी तरीके से हो. यदि लोगों के मामलों का निपटारा करने वाले अधिकारी की अपनी चयन प्रक्रिया नियमों के विपरीत हो तो इससे लोगों का न्याय पालिका से विश्वास उठ जायेगा.
प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा की गई गलती पर भी हाईकोर्ट ने आयोग को चेताया कि भविष्य में इस तरह की गलती न दोहराएं. न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश संदीप शर्मा ने दोनों जजों की नियुक्तियों को चुनौती देने वाली याचिकाओं का निपटारा करते हुए सिविल जज विवेक कायथ व आकांक्षा डोगरा की नियुक्तियों को रद्द करने का फैसला सुनाया. दोनों जज वर्ष 2013 बैच के एचपीजेएस अधिकारी थे. मामलों का निपटारा करते हुए कोर्ट ने पाया कि दोनों जजों की नियुक्तियां उन पदों के खिलाफ की गई जिनका कोई विज्ञापन नहीं दिया गया. बिना विज्ञापन के इन पदों को भरने पर कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग को चेताया कि भविष्य में ऐसी लापरवाही न करें.