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हिमाचल प्रदेश पावर सेक्टर डेवलपमेंट प्रोग्राम, वर्ल्ड बैंक से 1600 करोड़ का प्रोजेक्ट लाने में सरकार सफल - HP Government got 1600 crores from World Bank

हिमाचल में पावर सेक्टर ढांचे को और मजबूत बनाने के लिए वर्ल्ड बैंक से प्रदेश के लिए 1600 करोड़ के प्रजोक्ट को मंजूरी मिल गई है. अब हिमाचल प्रदेश पावर सेक्टर डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत प्रदेश में सोलर पावर जनरेशन को बढ़ावा देने के लिए कार्य लिया जाएगा. पढ़ें पूरी खबर...

Himachal Pradesh Power Sector Development Program
हिमाचल में पावर सेक्टर को मिलेगी मजबूती

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Published : Aug 24, 2022, 6:46 PM IST

Updated : Aug 24, 2022, 9:43 PM IST

शिमला: हिमाचल सरकार वर्ल्ड बैंक से प्रदेश के लिए 1600 करोड़ का प्रोजेक्ट लाने में सफल ( HP Government got 1600 crores from World Bank) हो गई है. हिमाचल प्रदेश पावर सेक्टर डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत यह राशि प्रदेश में पावर सेक्टर (Power Sector in Himachal) ढांचे को मजबूत करने, पावर ग्रिड को अपग्रेड करने के लिए और पावर सेक्टर के विभिन्न घटकों के आधारभूत ढांचे को मजबूत करने के लिए खर्च की जाएगी.

हिमाचल प्रदेश पावर सेक्टर डेवलपमेंट प्रोग्राम (Himachal Power Sector Development Program) 2023 से 2028 तक चलेगा. चुनावों से पहले जयराम सरकार इसे बड़ी उपलब्धि मान रही है. इस योजना के तहत हिमाचल प्रदेश में सोलर पावर जनरेशन (Solar Power Generation in Himachal Pradesh) को बढ़ावा देने के लिए कार्य लिया जाएगा. एचपीसीएल और हिम ऊर्जा के मध्य से प्रदेश में करीब 200 मेगावाट सोलर पावर जनरेशन पर कार्य किया जाएगा.

प्रोजेक्ट में लागत: इस प्रोजेक्ट में राज्य की हिस्सेदारी के साथ कुल लागत लगभग 2000 करोड़ रुपये होगी. उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के तहत विश्व बैंक से वित्त पोषण अगले वर्ष के आरम्भ तक उपलब्ध होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि विश्व बैंक और बहुद्देशीय परियोजनाएं एवं ऊर्जा विभाग कार्यक्रम की तैयारी को अंतिम रूप देने की दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं.

इस संबंध में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य राज्य में नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण में सुधार लाना और राज्य के ऊर्जा क्षेत्र को सुदृढ़ करना है. राज्य के बिजली क्षेत्र के संसाधनों के नवीकरणीय उपयोग में सुधार, पारेषण और वितरण स्तर पर राज्य के ग्रिड की विश्वसनीयता में सुधार और राज्यों की ऊर्जा उपयोगिताओं/एजेंसियों की संस्थागत क्षमताओं को और अधिक मजबूत करना इस कार्यक्रम के मुख्य लक्षित क्षेत्र हैं.

राज्सव में होगी बढ़ोतरी: सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि इस कार्यक्रम के माध्यम से ऊर्जा क्षेत्र की व्यापक योजना बनाने, मांग प्रतिक्रिया प्रबंधन को बढ़ावा देने, अक्षय ऊर्जा के अन्य स्रोतों के साथ वृहद एकीकरण के दृष्टिगत मौजूदा जलविद्युत परिसंपत्तियों की तकनीकी उपयोगिता में सुधार लाने और राज्य में पैदा होने वाली बिजली के व्यापार के लिए एक टेडिंग डेस्क स्थापित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे. इससे नवीकरणीय संतुलन क्षमता के माध्यम से ऊर्जा के क्रय से राज्य के अर्जित राजस्व में बढ़ोतरी भी हो सकेगी.

200 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता स्थापित करना लक्ष्य: मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य एचपीपीसीएल और हिम ऊर्जा के माध्यम से लगभग 200 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता स्थापित करना है. ऊर्जा व्यापार को बेहतर करने के लिए राज्य की ऊर्जा संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करना आवश्यक है और इस कार्यक्रम के माध्यम से राज्य के भीतर ऊर्जा नेटवर्क को सुदृढ़ करने पर विशेष बल दिया जाएगा, जिसमें एचपीपीटीसीएल के माध्यम से पारेषण स्तर पर तथा हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड के माध्यम से 13 शहरों में वितरण के स्तर पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जाएगा. स्टेट लोड डिस्पेच सेन्टर के स्तरोन्नयन से ऊर्जा आवश्यकताओं और आपूर्ति का बेहतर प्रबंधन किया जा सकेगा और इन प्रयासों के माध्यम से राज्य में ऊर्जा हस्तांतरण में भी सुधार होगा.

मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित इस कार्यक्रम के माध्यम से ऊर्जा क्षेत्र में लागू पर्यावरण और सामाजिक प्रणालियों को सुदृढ़ करने और इन पहलुओं की बेहतर निगरानी एवं मूल्यांकन में सहायता मिलेगी. इस कार्यक्रम के अंतर्गत अंतराल विश्लेषण के आधार पर मौजूदा मानदंडों, विनियमों और मौजूदा अध्ययनों पर आधारित विस्तृत पर्यावरण और सामाजिक आकलन पर आगामी कार्य करने पर भी विशेष ध्यान केंद्रित किया जाएगा. विश्व बैंक वित्त पोषित इस कार्यक्रम के तहत जलविद्युत में किसी नए निवेश की परिकल्पना नहीं की गई है, लेकिन यह कार्यक्रम राज्य को ऊर्जा क्षेत्र की उपयोगिताओं के लिए एक समान पर्यावरण और सामाजिक नीति तथा प्रक्रिया विकसित करने में सहायता करेगा और राज्य में अक्षय ऊर्जा के सतत विकास के लिए उच्च मानदंड स्थापित करेगा. इसके अलावा इस कार्यक्रम का उद्देश्य राज्य के ऊर्जा क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना भी होगा.

ऊर्जा राज्य हिमाचल:हिमाचल प्रदेश में 27 हजार मेगावाट से अधिक विद्युत उत्पादन की क्षमता है, इस समय 10,600 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है. हिमाचल की नई ऊर्जा नीति (new power policy of himachal) में 2030 तक मौजूदा उत्पादन से 10 हजार मेगावाट अतिरिक्त बिजली उत्पादन का लक्ष्य है. वर्तमान हिमाचल बिजली बोर्ड नॉर्दन ग्रिड से 4.50 रुपये से लेकर 5 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदता है. हिमाचल में हिमऊर्जा के तहत 89 माइक्रो एवं मिनी जल विद्युत परियोजनाओं से 331 मेगावाट बिजली पैदा होती है.

बिजली का उत्पादन: हिमाचल में कई छोटी बड़ी निजी और सरकार द्वारा संचालित विद्युत परियोजनाएं (Power Projects in himachal) हैं. हिमाचल में निजी विद्युत उत्पादकों से राज्य को 12 प्रतिशत बिजली का शेयर मिलता है. हिमाचल में गर्मियों में रोजाना औसतन 325 से 330 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन होता है. प्रदेश में गर्मियों के दौरान औसतन प्रतिदिन 301 लाख यूनिट बिजली की खपत होती है. हिमाचल में रोजाना 200 लाख यूनिट बिजली औद्योगिक क्षेत्र में प्रयोग में आती है. गर्मियों में सरप्लस बिजली होने पर जून में हिमाचल सरकार बैंकिंग के जरिए देश के अन्य राज्यों को बिजली देती है.

क्या है ये बैंकिंग व्यवस्था: इस सिस्टम के तहत उर्जा का लेन-देन ही होता है. हिमाचल प्रदेश जरूरत पड़ने पर देश के मैदानी इलाकों को बिजली (surplus power generation in Himachal) देता है. सर्दियों में हिमाचल में बिजली की खपत बढ़ जाती है ऐसे में हिमाचल उन राज्यों से बिजली वापस लेता है जिन्हें मॉनसून या गर्मियों में बिजली दी गई थी. ये बैंकिंग सिस्टम इसलिए भी अपनाया गया है, क्योंकि कई राज्य बिजली तो खरीद लेते थे, लेकिन उसकी रकम वक्त पर नहीं चुकाते थे. बैंकिग सिस्टम के अलावा हिमाचल बिजली बेचता भी है.

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Last Updated : Aug 24, 2022, 9:43 PM IST

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