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होटल और रेस्तरां एसोसिएशन ने किया नए महासंघ का गठन, सरकार के सामने उठाई जाएंगी ये मांगें - हिमाचल रेस्तरां एसोसिएशन

हिमाचल में होटलियर्स ने अपनी मांगों को सरकार के समक्ष रखने के लिए एक महा संघ का गठन किया गया है. होटल और रेस्तरां एसोसिएशन ने शिमला, मनाली, धर्मशाला, डलहौजी चायल, कसौली, पालमपुर सहित लगभग 20 शहर के होटल संघ को एक साथ मिलाकर एक महासंघ का गठन किया हैं.

Himachal Hoteliers Press Conference
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Published : Oct 21, 2020, 9:53 PM IST

शिमला: कोविड-19 की वजह से प्रदेश में पर्यटन कारोबार प्रभावित हुआ है. भले ही अब हिमाचल में होटल इंडस्ट्री खुल चुकी है, लेकिन अभी भी घाटे की भरपाई नहीं हो पाई है. होटल खुलने के बाद भी कोई फायदा होटलियर्स को नहीं मिल रहा है.

वहीं, सरकार की ओर से कोविड-19के संकट में प्रभावित हुए होटलियर्स और इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को किसी भी तरह की कोई राहत प्रदान नहीं की गई है. होटलियर्स अपनी मांगों को सरकार के समक्ष रख सकें, इसके लिए एक महा संघ का गठन किया गया है. होटल और रेस्तरां एसोसिएशन ने शिमला, मनाली, धर्मशाला, डलहौजी चायल, कसौली, पालमपुर सहित लगभग 20 शहर के होटल संघ को एक साथ मिलाकर एक महासंघ का गठन किया हैं.

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अब यह महासंघ प्रदेश के सभी होटलियर्स की समस्याओं को लेकर सरकार के समक्ष जाएगा और कोविड की संकट की वजह से उनके सामने जो भी दिक्कतें आ रही हैं. उनकी सरकार के समक्ष रखा जाएगा, जिससे एक ही मंच से सरकार से राहत की मांग की जा सके. संघ में अश्वनी बांबा को अध्यक्ष बनाया गया है.

कोरोना संकट में होटल इंडस्ट्री कई महीनों तक रही बंद

अश्वनी बांबा ने कहा कि कोविड-19 की वजह से होटल इंडस्ट्री कई महीनों तक बंद रही है. करोड़ों का नुकसान उन्हें उठाना पड़ा है, अब ना तो सरकार से राहत मिल पाई है और ना ही बैंक से लोन मिल पा रहा है. वहीं, बिजली-पानी और कूड़े की बिल के साथ ही पोपर्टी टैक्स भी लगातार लिए जा रहे हैं. भारी-भरकम बिल उन्हें इस समय चुकाने पड़ रहे हैं. उन्होंने कहा की कोरोना कई वजह से जो नुकसान हुआ है. उसके चलते होटल अभी हाउस टैक्स और अन्य लेवी का भुगतान करने की स्थिति में नहीं है.

होटलों में पर्याप्त संख्या में नहीं आ रहे पर्यटक

इसके साथ ही होटलों में इतने पर्यटक नहीं आ रहे हैं जिससे कि बिजली की खपत ज्यादा हो. ऐसे में बिजली बोर्ड की ओर से भी 20 अक्टूबर के बाद के कनेक्टेड लोड के अनुसार ही बिल होटलियर्स से लेने चाहिए और कम से कम 6 महीने की छूट इस बिल को लेकर दी जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से होटलियर्स को राहत देने के लिए ब्याज अधीनता योजना लाई गई थी लेकिन इस योजना में कई बाधाएं और कई कठिनाइयां होटलियर्स के समक्ष आ रही हैं. बैंक होटलियर्स को लोन देने से इंकार कर रहा है और ऐसे में होटल की हालत और भी ज्यादा खराब होती जा रही है.

महासंघ की सरकार से मांग

उन्होंने कहा कि महासंघ की सरकार से यह मांग है कि उन्हें आसान किस्तों पर फ्रेश लोन दिलवाया जाए. इस लोन पर आगामी 1 साल के लिए ब्याज को माफ किया जाए. इसके साथ ही नगर निगम होटलियर्स से गार्बेज बिल और प्रॉपर्टी टैक्स ना लिया जाए और इसे अगले 1 साल तक के लिए माफ किया जाए. होटलियर्स कि इस तरह की स्थिति नहीं है कि वह आगामी 1 साल तक इस तरह के बिल दे सकें.

उन्होंने कहा कि सरकार से अभी तक उन्हें कोई राहत नहीं मिली है और अब सरकार भले ही होटल में एक व्यक्ति ठहरा हो या पांच उस पर भी डिमांड चार्ज ले रही है. सरकार उनकी स्थिति को नहीं समझ रही है और उनकी मजबूरी का फायदा उठाया जा रहा है लेकिन इसे वह बर्दाश्त नहीं करेंगे. महासंघ का कहना है कि सरकार से यह मांग करते हैं कि डूबती हुई होटल इंडस्ट्री को उबारने के लिए उन्हें राहत प्रदान करें.

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