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हाईकोर्ट का सरकार को आदेश,प्रदेश स्तर पर की जाए फॉरेस्ट गार्ड की भर्तियां - फॉरेस्ट गार्ड की भर्तियां

Himachal Pradesh High Court राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह वन रक्षकों के पदों पर forest guard recruitments भर्तियां प्रदेश स्तर पर आयोजित करे.

Himachal Pradesh High Court
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Published : Aug 23, 2022, 9:33 AM IST

शिमला :हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh High Court) हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह वन रक्षकों के पदों पर (Recruitment for the posts of Forest Guard) भर्तियां प्रदेश स्तर पर आयोजित करे. कोर्ट ने कहा कि सभी वन मंडलों के लिए एक ही विज्ञापन जारी किया जाए. दक्षता परीक्षा, लिखित परीक्षा व लिखित परीक्षा का परिणाम भी एक साथ ही घोषित किया जाए, ताकि वरिष्ठता सूची जारी करने में कोई कंफ्यूजन न हो. इसके अलावा साक्षात्कार के लिए भी एक ही तारीख रखने को कहा गया है.

न्यायाधीश विवेक सिंह (Judge Vivek Singh Thakur) ठाकुर ने वन रक्षकों के वरिष्ठता से जुड़े मामलो का निपटारा करते हुए यह आदेश जारी किए. 8 अगस्त 2019 को प्रधान मुख्य अरण्यपाल द्वारा सभी मुख्य अरण्यपालों को यह दिशा निर्देश जारी किए थे कि वन रक्षकों की डिप्टी रेंजर(स्टेट केडर) के पद पर पदोन्नति करने के लिए उनकी वरिष्ठता उनके द्वारा वनरक्षक के पद पर हुई भर्ती के दौरान पाई मेरिट के आधार पर जारी की जाए.

कोर्ट के समक्ष यह दलील दी गई थी कि यह निर्देश तत्कालीन प्रशासनिक प्राधिकरण द्वारा एक मामले में दिए गए निर्णय के अंतर्गत दिए गए है जोंकि कानूनी तौर पर सही नहीं है. याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार वर्ष 2007 में 583 वन रक्षकों के पदों को भरने के लिए लिखित परीक्षा का आयोजन किया (conduct of written test) गया था. लिखित परीक्षा का आयोजन एक ही दिन किया गया था,लेकिन विभिन्न मंडलों में कुछ वन रक्षकों को सितंबर 2007 में नियुक्ति पत्र जारी किए गए, जबकि कुछ वन मंडलों में वन रक्षकों को नियुक्ति पत्र नवंबर 2007 में जारी किए गए.

हालांकि ,वन रक्षकों की चयन (Forest Guard Selection Process) प्रक्रिया एक ही तारीख को की गई, लेकिन परिणाम घोषित करने में हुई देरी और नियुक्ति पत्र अलग-अलग वन मंडलों में अलग-अलग तारीख को जारी करने के बाद वरिष्ठता सूची ज्वाइनिंग की तारीख से निर्धारित की गई थी. प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रधान मुख्य वन अरण्यपाल द्वारा 8 अगस्त 2019 को जारी निर्देशों से सहमति जताते हुए प्रार्थियों की याचिकाओं को खारिज कर दिया.

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