शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने एनजीटी के आदेशों का बार-बार हवाला देकर नक्शा स्वीकृत न करने पर नगर निगम शिमला को आदेश दिए कि वह प्रार्थियों के आवेदन पर फिर से विचार (Himachal High Court Orders MC Shimla.) करे. न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने फैसले में कहा कि नगर निगम सहित राज्य सरकार ने कानून के अनुसार नक्शे पास करने की बजाए ढाई मंजिला वाले एनजीटी के आदेशों के कारण खुद में एक प्रकार का भय मनोविकार पैदा कर लिया है. इसी कारण सरकार व नगर निगम भवन उप नियमों को संशोधित करने के लिए आगे नहीं बढ़ रहे हैं.
कोर्ट ने प्रार्थियों के आवेदन पर एनजीटी के आदेशों से पहले के नियमों के अनुसार निर्णय लेने के आदेश दिए (National Green Tribunal stay in Shimla) हैं. मामले के अनुसार याचीकार्ताओं ने 3 अगस्त 2017 को होटल का नक्शा नगर निगम के पास स्वीकृति के लिए जमा करवाया. उन्होंने आवेदन के साथ लगभग 5 लाख रुपए की फीस भी जमा करवा दी. नक्शे के मुताबिक दो भवन चार मंजिल जमा पार्किंग के व चार कॉटेज दो मंजिल जमा पार्किंग के थे. इससे पहले की प्रार्थियों के नक्शे स्वीकृत हो पाते, एनजीटी ने 16 नवंबर 2017 को एक सामान्य दिशा -निर्देश जारी कर भवन निर्माणों पर ढाई मंजिलों की शर्त लगा दी.
25 नवंबर 2017 को एनजीटी के आदेशों का हवाला देते हुए नगर निगम ने नक्शा प्रार्थियों को वापिस कर (Himachal High Court) दिया. 14 दिसंबर को सरकार के विधि विभाग ने एनजीटी के आदेशों की जांच पड़ताल की और कहा कि एनजीटी के आदेश उन मामलों में लागू नहीं होते जिनके नक्शे अनुमोदन, संशोधन और स्वीकृति के लिए 16 नवंबर 2017 से पहले पेश किए जा चुके थे, लेकिन विधानसभा चुनाव को लेकर कोड ऑफ कंडक्ट लगने के कारण उन पर विचार नहीं किया जा सका. सरकार के इस स्पष्टीकरण को देखते हुए प्रार्थियों ने फिर से 17 फरवरी 2018 को नक्शा स्वीकृति के लिए जमा करवा दिया.