शिमला:न्यायपालिका की स्वतंत्रता में लोगों का विश्वास न केवल जनहित में, बल्कि समाज के हित में भी सर्वोपरी है. लोगों के इसी विश्वास को बनाये रखने का दायित्व वकीलों, न्यायाधीशों, विधायकों और अधिकारियों का बनता है. प्रदेश हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी पोस्टिंग आदेशों को वापस लेने वाले आदेशों को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए की. न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान(Judge Tarlok Singh Chauhan) व न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने कहा कि न्यायालय में याचिकाकर्ता जैसे वादी के लिए कोई जगह नहीं जिसका न्यायपालिका पर कोई विश्वास नहीं है. मामले के अनुसार एचआरटीसी मंडी में तैनात ड्राइवर दीपक राज शर्मा को 28 अगस्त 2020 को जारी आदेशों के तहत इंचार्ज ड्राइवर्ज ड्यूटी पोस्टिंग(Incharge Driver Duty Posting) दी गयी थी.
जिन्हें अगले ही दिन वापस भी ले लिया गया था. प्रार्थी ने इन पोस्टिंग ऑर्डर वापस लेने वाले आदेशों को हाईकोर्ट में यह कहकर चुनौती दी थी कि उसके पोस्टिंग आदेश राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते वापस लिए गए और किसी अन्य ड्राइवर को इंचार्ज ड्राइवर्ज ड्यूटी तैनाती दी गई. कोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता का आचरण बोर्ड से ऊपर नहीं रहा, क्योंकि वह खुद ही अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए ड्राइवर और कंडक्टर सहित विभिन्न यूनियनों को एक ढाल के रूप में इस्तेमाल कर रहा था. इतना ही नही कोर्ट ने मामले का रिकॉर्ड देखने पर पाया कि प्रार्थी ने अपनी मनमाफिक पोस्टिंग ऑर्डर पाने के लिए 15 अगस्त 2019 को भारतीय जनता पार्टी जिला मंडी के अध्यक्ष से मुलाकात कर सिफारिश भी करवाई जिससे जाहिर होता है कि उसका न्यायपालिका पर कोई विश्वास नहीं है.