शिमलाः हिमाचल हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार को आदेश दिए हैं कि वह ट्रांसफर की एक निष्पक्ष और पारदर्शी नीति बनाए जाने बारे उचित कदम उठाए. न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने इस पर फैसला सुनाया है.
खंडपीठ ने सरकार को कहा कि ऐसे शिक्षकों को जिनके बच्चों को बोर्ड परीक्षा या एमबीबीएस, एआईईईई जैसे व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लिए परीक्षा में शामिल होना है, उन्हें ऐसी जगह एडजस्ट किया जाना चाहिए जहां ऑनलाइन ट्यूशन और कोचिंग क्लासेस की सुविधाएं उपलब्ध हो. इससे न केवल कुछ शिक्षकों के पक्ष में बनाए गए एकाधिकार को समाप्त करेगा, बल्कि समग्र रूप से छात्र समुदाय को लाभ मिलेगा.
ट्रांसफर सम्बंधित मामले पर निर्णय देते हुए खंडपीठ ने कहा कि अगर ट्रांसफर किसी विशेष व्यक्ति को बिना किसी उचित आधार के समायोजित करने के लिए किया जाता है, तो इस प्रकार के स्थानान्तरणों को दुर्भावनापूर्ण करार दिया जा सकता है और इसे रद्द किया जा सकता है.
मामले से सम्बंधित रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद अदालत ने पाया कि प्रार्थी का ट्रांसफर किसी दूसरे व्यक्ति को एडजस्ट करने के लिए किया गया था. अदालत ने पाया कि ट्रांसफर में प्रशासनिक जरुरत नहीं थी और यह सिर्फ किसी दूसरे व्यक्ति को एडजस्ट करने के लिए किया गया था.