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हिमाचल हाईकोर्ट का राज्य सरकार को नोटिस, विधानसभा में चीफ व्हिप व डिप्टी चीफ व्हिप से जुड़ा है मामला - appointment of Chief Whip and Deputy Chief Whip in Vidhan Sabha

विधायक बिक्रम सिंह जरयाल को चीफ व्हिप और कमलेश कुमारी को डिप्टी चीफ व्हिप के पद पर नियुक्ति (Chief Whip and Deputy Chief Whip in the Assembly) देने के मामले में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से 3 सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है. पढ़ें, पूरी खबर...

Himachal HC notice to the State Government
हिमाचल हाईकोर्ट का राज्य सरकार को नोटिस

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Published : May 11, 2022, 7:43 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने विधायक बिक्रम सिंह जरयाल को चीफ व्हिप और कमलेश कुमारी को डिप्टी चीफ व्हिप के पद पर नियुक्ति ( Chief Whip and Deputy Chief Whip in the Assembly) देने के मामले में राज्य सरकार से 3 सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है. मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने टेक चंद व अन्य तीन प्रार्थियों की ओर से दायर आवेदनों को स्वीकारते हुए उपरोक्त आदेश पारित किए.

प्रार्थियों ने सचेतक के वेतन भत्ते और अन्य सुविधाएं अधिनियम 2018 को असंवैधानिक घोषित करने की गुहार (Himachal HC notice to the State Government) लगाई है. प्रार्थियों ने इनकी नियुक्तियों से जुड़ी अधिसूचना सम्बन्धी आदेशों को रद्द करने की भी मांग की है. याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 में किए गए संशोधन के मुताबिक किसी भी प्रदेश में मंत्रियों की संख्या विधायकों की कुल संख्या का 15 फीसदी से अधिक नहीं हो सकती.

राज्य सरकार ने सैलरी एलाउंसेस एंड अदर बेनिफिट्स ऑफ चीफ व्हिप एंड डिप्टी चीफ व्हिप इन लेजिस्लेटिव असेंबली ऑफ हिमाचल प्रदेश एक्ट 2018 (Legislative Assembly of Himachal Pradesh Act 2018) बनाया है, जिसके तहत मुख्य सचेतक व उप मुख्य सचेतक की नियुक्ति करने बाबत प्रावधान बनाया गया है. इन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्रदान करने का प्राबधान बनाया गया है.

मंत्रियों के लिए निर्धारित की गई सीमा पूरी करने के पश्चात यह पद निर्धारित संख्या से ज्यादा हो गया है. सचेतक का पद मंत्री के पद के बराबर है. हालांकि उसे मंत्री नहीं कहा जाता, लेकिन उसे सभी वहीं सुविधाएं प्रदान की जाती है जो एक मंत्री को प्रदान की जाती है. प्रार्थियों ने सरकारी सचेतकों की नियुक्ति को भारतीय संविधान के प्रावधानों के विपरीत ठहराते हुए इन्हें रद्द करने की गुहार लगाई है.

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