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वेब मीडिया के लिए पॉलिसी तैयार करेगी हिमाचल सरकार, कंटेंट-तकनीक पर रहेगा खास फोकस

वेब मीडिया के लिए हिमाचल सरकार पॉलिसी तैयार करेगी. प्रदेश में सूचना व जनसंपर्क विभाग समाचार पत्रों व डिजिटल मीडिया से सीधे संपर्क में रहता है. इसी विभाग के पास वेब मीडिया के लिए पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार करने की जिम्मेदारी होगी. सरकार के दिशा-निर्देश के बाद पॉलिसी के लिए कवायद शुरू हो गई है.

जयराम ठाकुर, सीएम, हिमाचल प्रदेश(फाइल फोटो)
जयराम ठाकुर, सीएम, हिमाचल प्रदेश(फाइल फोटो)

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Published : Nov 17, 2020, 12:35 PM IST

शिमला: हिमाचल सरकार वेब मीडिया के लिए पॉलिसी तैयार करेगी. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा है कि बदलते समय के अनुसार मीडिया के इस महत्वपूर्ण अंग वेब मीडिया के लिए पॉलिसी की जरूरत है. राज्य में वर्ष 2013 से वेब पोर्टल का चलन तेज हुआ.

कोरोना काल में तो अचानक से वेब पोर्टल की बाढ़ सी आ गई. हिमाचल में इस समय पांच सौ के करीब वेब पोर्टल चल रहे हैं. चूंकि पोर्टल चलाने के लिए स्थानीय स्तर पर कोई फॉर्मेलिटी आदि नहीं है, लिहाजा उपमंडल स्तर पर भी लोग वेब मीडिया में दस्तक देकर अपना पोर्टल व साइट चला रहे हैं. यही नहीं, फेसबुक पर लाइव भी बढ़ गए हैं.

कैबिनेट मीटिंग व सीएम सहित अन्य नेताओं के कार्यक्रम को फेसबुक पर लाइव भी किया जा रहा है. इससे वेब मीडिया में विश्वसनीयता को लेकर भी बहस शुरू हो गई है. ऐसे सभी पहलुओं को रेगुलेट करने के लिए वेब मीडिया के लिए पॉलिसी लाना जरूरी हो गया है. यही कारण है कि हिमाचल सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ाया है.

हिमाचल प्रदेश में सूचना व जनसंपर्क विभाग समाचार पत्रों व डिजिटल मीडिया से सीधे संपर्क में रहता है. इसी विभाग के पास वेब मीडिया के लिए पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार करने की जिम्मेदारी होगी. सरकार के दिशा-निर्देश के बाद पॉलिसी के लिए कवायद शुरू हो गई है.

हालांकि अभी केंद्र सरकार ने भी वेब मीडिया के लिए ठोस पॉलिसी तैयार नहीं की है. राज्य सरकारें भी डिजिटल मीडिया के सभी पहलुओं का अध्ययन कर रही है. हालांकि पहले से सक्रिय समाचार पत्रों की सभी की अपनी न्यूज वेबसाइट चल रही है, लेकिन पोर्टल के लिए पॉलिसी नहीं है.

हिमाचल सरकार इस बात पर फोकस करेगी कि पोर्टल के लिए किस तरह का फिल्टर लागू किया जाए? कंटेट के साथ ही तकनीकी पहलुओं की स्टडी पर जोर दिया जाएगा. कंटेट की क्रेडिबिलिटी की कसौटी पर खरा उतरने पर ही पोर्टल को बढ़ावा दिया जाएगा. तकनीकी पहलुओं में से सबसे महत्वपूर्ण खबरों पर मिलने वाले हिट्स की संख्या देखी जाएगी.

बड़ी बात ये है कि पीएम नरेंद्र मोदी के स्लोगन वोकल फॉर लोकल की तर्ज पर वेब पोर्टल को उद्योग का दर्जा दिया जा सकता है. जिस तरह उद्योग के लिए पंजीकरण होता है, उसी तर्ज पर वेब पोर्टल के लिए नीति होगी. इसे मीडिया समूह की तर्ज पर न लेकर छोटे उद्यम की तर्ज पर लिया जाएगा, ताकि स्थानीय स्तर पर शर्तों को पूरा किया जा सके.

फिलहाल, विभाग उक्त बिंदुओं पर कसरत करेगा. इसी तरह सबसे पहले वेब पोर्टल की ऐसी परिभाषा तय की जाएगी, जिसमें सभी बिंदु समाहित हो सकें. परिभाषा के अनुसार ही वेब मीडिया समूह को पॉलिसी के लिए कसौटी पर कसा जाएगा. वेब मीडिया, वेब पोर्टल, डिजिटल मीडिया, लाइव कवरेज आदि सभी की परिभाषा तय की जाएगी.

जिस तरह इंटरनेट की एक्सेस बढ़ी है और बिल्कुल लोकल स्तर पर न्यूज पोर्टल की बाढ़ सी आई है, उससे वेब मीडिया के लिए पॉलिसी तैयार करना आसान काम नहीं है. किस तरह का फिल्टर लगाया जाए, ताकि गंभीर संस्थान ही इस क्षेत्र में आगे बढ़ें, ये तय करना किसी चुनौती से कम नहीं है.

बड़ी बात ये है कि एक बार पॉलिसी तैयार हो जाने के बाद सरकार को इन सभी वेब मीडिया समूहों को विज्ञापन देने का दबाव होगा. जहां तक हिमाचल प्रदेश की बात है तो आर्थिक तौर पर राज्य की कमजोर स्थिति के कारण विज्ञापन पर भारी-भरकम रकम खर्च करना संभव नहीं है. फिर वेब मीडिया से जुड़े लोगों की मान्यता व अन्य सुविधाओं को लेकर भी स्थिति स्पष्ट करनी पड़ेगी.

पॉलिसी में इन सभी का ध्यान रखना होगा. सूचना व जनसंपर्क विभाग के निदेशक हरबंस सिंह के अनुसार मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की वेब मीडिया के लिए पॉलिसी तैयार करने की घोषणा के बाद इस पर मंथन किया जा रहा है. वैसे हिमाचल में वर्ष 2013 से ही वेब मीडिया के सक्रिय होने के बाद पॉलिसी की मांग की जा रही है.

बड़ी बात ये है कि हिमाचल सरकार प्रदेश में वेब पॉलिसी फाइनल करने से पहले अन्य राज्यों में लागू वेब मीडिया पॉलिसी का भी अध्ययन करेगी और प्रदेश में गुण दोष के आधार पर अपनी नीति लागू करेगी.

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