शिमला: हिमाचल प्रदेश में चुनावी साल में कांग्रेस ने चौंकाने वाला (Himachal Congress New Committee Formed) फैसला लिया है. छह बार के सीएम रहे स्व. वीरभद्र सिंह की पत्नी और मंडी की सांसद प्रतिभा वीरभद्र सिंह को हिमाचल कांग्रेस का नया मुखिया बनाया गया है. इस तरह से प्रदेश कांग्रेस का पावर सेंटर एक बार फिर से होली लॉज (वीरभद्र सिंह के निजी आवास) में शिफ्ट हो गया है. इस फैसले का हिमाचल की राजनीति पर क्या प्रभाव होगा, उससे पहले एक दिलचस्प तथ्य यहां दर्ज करना जरूरी है.
वीरभद्र सिंह ने जब-जब भी हिमाचल में सरकार की बागडोर संभाली, वे मुख्यमंत्री के लिए तय सरकारी आवास ओक ओवर में बहुत कम रहते थे. वे शिमला में स्थित अपने निजी आवास होली लॉज से ही सरकार व संगठन को चलाते थे. हिमाचल कांग्रेस का मुखिया कोई भी हो, लेकिन हिमाचल कांग्रेस में संगठन व सत्ता का पावर सेंटर होली लॉज ही रहा. अब प्रतिभा सिंह के प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने मीडिया से बात करने का वैन्यू भी होली लॉज ही चुना है. ये एक तरह का संकेत है कि होली लॉज से ही संगठन की गतिविधियों की रूपरेखा तय होगी. ये सांकेतिक कदम बड़ा अहम है. इसके कई मनोवैज्ञानिक पक्ष हैं.
हिमाचल कांग्रेस दशकों तक वीरभद्र सिंह के इर्द-गिर्द घूमती रही है. होली लॉज से (Holly Lodge shimla) जनता का भावुक जुड़ाव है. कांग्रेस विधानसभा चुनाव में वीरभद्र सिंह फैक्टर को भुनाना चाहती है. वीरभद्र सिंह बेशक इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन कोई भी पार्टी का नेता वीरभद्र सिंह के नाम की अनदेखी नहीं कर सकता. पार्टी हाईकमान ने भी ये माना है कि वीरभद्र सिंह का नाम हिमाचल में कांग्रेस को सहानुभूति जरूर दिलाएगा. बड़ी बात ये है कि कांग्रेस कार्यकर्ता भी मानते हैं कि वीरभद्र सिंह के नाम में अभी भी असर है. खासकर ग्रामीण इलाकों के बुजुर्गों और महिलाओं में वीरभद्र सिंह का बहुत सम्मान है. प्रतिभा सिंह और विक्रमादित्य सिंह को भी प्रदेश की जनता वीरभद्र सिंह के रूप में देखती है.