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अग्निपथ योजना : सेना की सेवा से सियासत में आए नेताओं की अलग-अलग राय, भाजपाई बोले यंग होगी आर्मी, विपक्ष ने बताया ठेका प्रथा

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Published : Jun 21, 2022, 2:57 PM IST

भारतीय सेना में भर्ती की नई अग्निपथ योजना (agnipath scheme Protest ) को लेकर देश भर में बवाल मचा है. इस योजना पर नेताओं की अलग-अलग राय है लेकिन जो नेता कभी सेना की वर्दी पहन चुके हैं वो इस योजना को लेकर क्या कहते हैं. जानने के लिए पढ़े पूरी खबर

अग्निपथ योजना
अग्निपथ योजना

शिमला:भारतीय सेना में भर्ती की नई अग्निपथ योजना (agnipath scheme ) को लेकर देश भर में बवाल मचा है. केंद्र सरकार और भाजपा इसे सेना में नए युग की शुरुआत बता रही तो विपक्ष इसे ठेका प्रथा के तौर पर देख रहा है. देश भर में युवा भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं. हिमाचल प्रदेश वीरभूमि और यहां प्रति 10 लाख आबादी में सेना में भर्ती होने वाले युवाओं की संख्या देश भर में सबसे अधिक है.

सेना से सियासत में आए नेता क्या कहते हैं: दिलचस्प बात है कि सेना में नौकरी के बाद पूर्व सैनिकों ने सियासत में हाथ आजमाया और सफल हुए हैं. हिमाचल प्रदेश विधानसभा में भी इस समय कैबिनेट मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर, विधायक कर्नल इंद्र सिंह, विधायक विक्रम जरियाल सहित सांसद सुरेश कश्यप पूर्व सैनिक हैं. वहीं, कांग्रेस में कर्नल डॉ. धनीराम शांडिल भी दशकों तक सेना में सेवाएं दे चुके हैं. भाजपा से जुड़े नेता जिन्होंने सेना में भी अपनी सेवाएं दी हैं, वे अग्निपथ को एक बेहतरीन योजना (Himachal BJP on Agnipath) बता रहे हैं.

सेना को दोहरा लाभ होगा: कर्नल इंद्र सिंह भाजपा के विधायक हैं और देश की सेना में सफल पारी खेल चुके हैं. उनका कहना है कि अग्निपथ योजना से भारत की सेना यंग होगी.अभी भारत की सेना की औसत आयु 32 साल है. उक्त योजना के लागू होने के बाद ये 26 साल हो जाएगी. उन्होंने कहा कि अग्निपथ के जरिए भारतीय सेना का हिस्सा बनने वाले युवा को 6 महीने की ट्रेनिंग दी जाएगी. इस समय सेना में तकनीक पर जोर है और युवा तकनीकी पहलुओं को तेजी से पकड़ते हैं. इससे भारतीय सेना को दोहरा लाभ होगा. कर्नल इंद्र सिंह ने कहा कि विपक्ष का ठेका प्रथा और युवाओं के भविष्य के खिलवाड़ का आरोप सरासर बेबुनियाद है.

टॉप ब्रेन का योगदान:कैबिनेट मंत्री महेंद्र ठाकुर भी सेना में रहे हैं. वे जलशक्ति मंत्री के अलावा सैनिक कल्याण विभाग के मंत्री भी हैं. महेंद्र सिंह ठाकुर का कहना है कि अग्निपथ योजना बहुत विचार करने के बाद घोषित की गई है. इसमें सेना के टॉप ब्रेन का योगदान है. देश की सेना को और अधिक क्षमतावान बनाने के लिए ये योजना कारगर साबित होगी. उन्होंने कहा कि भर्ती होने वाले युवाओं में से 25 फीसदी को नियमित रूप से सेना में सेवारत रहने के लिए अवसर मिलेगा. इसके अलावा जो युवा 4 साल की सेवा के बाद वापस आएगा, उसके पास न केवल एक हैंडसम अमाउंट खाते में होगा, बल्कि उसे विभिन्न संस्थाओं में नौकरी के अवसर भी मिलेंगे.

नौकरी ही नहीं सेवा भावना भी जरूरी: विधायक विक्रम जरियाल का कहना है कि सेना में केवल नौकरी ही नहीं, सेवा की भावना भी महत्वपूर्ण होती है. विक्रम जरियाल खुद कमांडो रहे हैं. उनका कहना है कि युवा अफसरों और सैनिकों की हिम्मत ने ही करगिल में असंभव को संभव कर दिखाया था. तब भारतीय सेना के युवा अफसरों व सैनिकों ने कठिन युद्ध को अपने कौशल और साहस से जीता था. अग्निपथ योजना से उठती उम्र में ही युवाओं के मन में देश सेवा की भावना जागेगी. नियमित रूप से सेवा का अवसर भी योग्यता अनुसार उपलब्ध रहेगा.

अमेरिका और इजरायल में भी ऐसी व्यवस्था:भारतीय वायु सेना में सेवाएं देने वाले भाजपा अध्यक्ष और शिमला से सांसद सुरेश कश्यप का कहना है कि अग्निपथ योजना से सेना सशक्त होगी. उन्होंने कहा कि विश्व के अन्य देशों में भी कमोबेश ऐसी व्यवस्था है. अमेरिका और इजरायल इसका उदाहरण है. सेना में रहने से युवाओं के भीतर अनुशासन आता है और देशसेवा की भावना प्रबल होती है. अग्निपथ योजना में सेना की सेवा के बाद भी युवाओं के सामने कई अवसर हैं.

ठेका प्रथा को मिलेगा बढ़ावा:वहीं, पूर्व कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस नेता कर्नल धनीराम शांडिल का कहना है कि अग्निपथ योजना सेना में ठेका प्रथा को बढ़ावा (Himachal Congress on Agnipath) देगी. ये युवाओं के साथ धोखा है. उन्होंने कहा कि 4 साल में कोई युवा सेना को कितना समझ पाएगा. उन्होंने इस योजना में सुधार की गुंजाइश बताई. कर्नल शांडिल ने कहा कि अग्निपथ योजना के ऐलान के बाद युवाओं के विरोध प्रदर्शन ने ये साबित किया कि उन्हें योजना से आपत्ति है. देश के नेतृत्व को सामने आकर इस योजना के बारे में फैले असमंजस को दूर करना चाहिए.

देश की सेना में हिमाचल की स्थिति:हिमाचल की धरती को देश का पहला परमवीर देने का गौरव हासिल है. हिमाचल को वीरभूमि कहा जाता और देश की सेना में यहां का योगदान अतुलनीय है. यदि पिछले 5 साल का आंकड़ा देखा जाए तो वर्ष 2017 से 2022 तक प्रति 10 लाख की जनसंख्या में हिमाचल से 402 युवा सेना में भर्ती हुए. ये देश में औसत के लिहाज से सर्वाधिक है. दूसरे नंबर पर उत्तराखंड, तीसरे पर जेएंडके, चौथे पर पंजाब आता है.

हिमाचल में भी प्रदर्शन:हिमाचल में हमीरपुर, कांगड़ा, कुल्लू सहित सभी जिला मुख्यालयों में युवाओं ने अग्निपथ योजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन (Agnipath scheme controversy) किया है. जिन युवाओं ने पूर्व में लिखित परीक्षा दी है, वे रिजल्ट का इंतजार कर (Agnipath Scheme Protest) रहे हैं. विरोध प्रदर्शन के बाद हालांकि, अधिकतम आयु 23 साल की गई है, लेकिन विरोध थम नहीं रहा. युवाओं का कहना है कि पहले की तरह नियमित भर्ती होनी चाहिए. वहीं, सीएम जयराम ठाकुर का कहना है कि विपक्ष इस मामले में राजनीति कर रहा है. उन्होंने युवाओं से संयम रखने की अपील की है.
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