शिमला:हिमाचल में विधानसभा चुनाव की हलचल शुरू हो गई है. भाजपा में भी चुनावी कसरत चल रही है. हाईकमान ने साफ संकेत दिए हैं कि जिनकी परफार्मेंस हाईकमान की कसौटी पर खरी नहीं उतरेगी, उन्हें किसी भी सूरत में टिकट नहीं दिया जाएगा. यही नहीं, वंशवाद की राजनीति को भी भाजपा हाईकमान सहन नहीं करेगी. इस बारे में तो पार्टी मुखिया जेपी नड्डा ने हाल ही में कड़ा बयान भी दिया है. वहीं, हिमाचल प्रदेश में ये चर्चा जोरों पर है कि भाजपा में कई सिटिंग एमएलए के अलावा मंत्रियों के टिकट भी कट सकते हैं. यहां बता दें कि हिमाचल भाजपा में हाईकमान की तरफ से अलग-अलग टीमें पिछले लंबे अरसे से फील्ड व अन्य सोर्सिज से फीडबैक लिया है. हिमाचल में पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सौदान सिंह सहित संगठन के पदाधिकारी अपने स्तर पर रिपोर्ट ले चुके हैं.
हाईकमान ने सभी विधायकों और मंत्रियों (Himachal assembly elections 2022) से भी उनके द्वारा अपने निर्वाचन क्षेत्र में किए गए कार्यों की रिपोर्ट ली है. साथ ही मंत्रियों से भी रिपोर्ट ली है कि उन्होंने चार साल के समय में अपने विभाग में क्या-क्या काम किए और कौन से काम अधूरे रहे हैं. ये सारी कवायद टिकट वितरण के लिए बेस है. हाईकमान ने सभी विधायकों और मंत्रियों को स्पष्ट कहा है कि टिकट वितरण के लिए जो मापदंड तय किए गए हैं, उन पर किसी भी स्थिति में कोई छूट नहीं होगी और न ही कोई समझौता किया जाएगा.
वहीं, वंशवाद को लेकर भी भाजपा सख्त रुख अपना रही है. ये अलग बात है कि उत्तर प्रदेश व गोवा में पार्टी ने इस मुद्दे पर आंशिक समझौते भी किए हैं. हिमाचल की बात करें तो यहां कोटखाई में वरिष्ठ भाजपा नेता नरेंद्र बरागटा के देहावसान के बाद उनके बेटे चेतन बरागटा को टिकट देने की बात चली थी. चेतन पार्टी से जुड़े हुए थे और सक्रिय थे. उन्होंने आश्वासन के बाद काम भी करना शुरू कर दिया था, लेकिन ऐन मौके पर उपचुनाव में उनका टिकट काट दिया गया.
चेतन आजाद उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरे और नतीजा ये रहा है कि भाजपा कोटखाई सीट पर हुए उपचुनाव में जमानत जब्त करवा बैठी. चुनाव में कांग्रेस के रोहित ठाकुर विजयी हुए. इतना होने पर भी भाजपा हाईकमान ने वंशवाद को लेकर हिमाचल के संदर्भ में निकट भविष्य में भी कोई नरमी बरतने के संकेत नहीं दिए हैं. कुल्लू में वरिष्ठ भाजपा नेता महेश्वर सिंह के बेटे और पूर्व पार्टी मुखिया खीमीराम शर्मा के बेटे ने अभी से टिकट को लेकर जोरदार मांग शुरू कर दी है.
इसी संदर्भ में अब ये देखना होगा कि आगामी चुनाव में किस सिटिंग एमएलए का टिकट कटेगा और किस मंत्री को टिकट से हाथ धोना पड़ेगा. चर्चा के अनुसार तीन मंत्रियों के टिकट पर तलवार लटक रही है. इसके अलावा आठ विधायकों की परफार्मेंस भी हाईकमान के मापदंड पर खरी नहीं उतरी है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने कहा कि टिकट आवंटन का निर्णय पार्लियामेंट्री बोर्ड की बैठक में होता है. टिकट किस आधार पर दिया जाएंगे यह पैमाना भी केंद्रीय हाईकमान तय करती है. उन्होंने कहा कि इतना ज़रूर है कि पार्टी हाईकमान अपने आधार पर सर्वे करवाती है और टिकट आवंटन में सर्वे रिपोर्ट की भूमिका भी अहम रहती है. उन्होंने कहा कि परफॉर्मेंस और विनवलिटी टिकट आवंटन में अहम बिंदु रहते हैं.