शिमला: हिमाचल की राजनीति में वीरभद्र सिंह (Virbhadra Singh in Himachal politics) निर्विवाद रूप से एक बड़ा नाम रहे हैं. वे छह बार हिमाचल के मुख्यमंत्री रहे. इस दौरान वीरभद्र सिंह असंख्य समारोहों में शामिल हुए और अनेक बार उन्हें मंच पर तलवार भेंट की जाती रही. वीरभद्र सिंह राजशाही से संबंध रखते थे और भेंट की गई तलवार को मंच पर लहराते थे. एक तरह से तब हिमाचल की राजनीति में तलवार की धूम थी.
समय बदला और राजनीतिक सभाओं के चेहरे भी बदले. पीएम नरेंद्र मोदी मंडी में जनसभा में आए तो उन्हें त्रिशूल भेंट किया गया. मंडी को छोटी काशी भी कहते हैं और त्रिशूल तथा काशी का संबंध सर्वविदित है. उसके बाद से अनुराग ठाकुर को भी त्रिशूल भेंट किया गया तो सीएम जयराम ठाकुर को भी. यानी बदले हुए समय में हिमाचल की राजनीति में अब तलवार का सफर त्रिशूल (politics over himachali cap trishul and talwar) तक जा पहुंचा है.
पीएम नरेंद्र मोदी मंडी में जनसभा में त्रिशूल भेंट किया गया. (फाइल फोटो) राजनीति में संकेत बहुत महत्वपूर्ण होते हैं. वीरभद्र सिंह राजपरिवार से थे तो समारोहों ने तलावर भेंट की जाती थी. वीरभद्र सिंह भी एक कुशल तलवारबाज की तरह उसे लहराते थे. वर्ष 2019 में हमीरपुर के सुजानपुर में एक समारोह में वीरभद्र सिंह के तलवार लहराने के स्टाइल वाला वीडियो बहुत वायरल हुआ था.
कार्यक्रम में तलवार के साथ हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह. (फाइल फोटो) वीरभद्र सिंह को भेंट की जाती थी तलवार: आम जनता ऐसी घटनाओं से खुद को वीरभद्र सिंह के साथ भावनात्मक रूप से जोड़ती रही है. ऐसे में राजपूती शान को दर्शाती तलवार वीरभद्र सिंह को भेंट की जाती थी. उधर, भाजपा राजनीति में धर्म को प्रमुखता से स्थान देती है तो समारोहों में अब त्रिशूल नजर आ रहा है. हालांकि पूर्व में राजनीतिक रैलियों और जनसभाओं में राजनेताओं को चांदी का बुर्ज और गदा भी भेंट की जाती रही है, लेकिन त्रिशूल ने सभी को चौंका दिया है.
कार्यक्रम में गदा के साथ हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह. (फाइल फोटो) जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली सरकार ने अपने कार्यकाल के चार साल पूरा होने के अवसर पर मंडी में जनसभा की थी. पीएम नरेंद्र मोदी उसमें मुख्य अतिथि के रूप में आए थे. वहां पीएम नरेंद्र मोदी को सीएम जयराम ठाकुर ने सात फीट ऊंचा पीतल की धातु का त्रिशूल भेंट किया. पीएमओ से आए अधिकारी उस समय त्रिशूल को दिल्ली नहीं ले गए, लेकिन बाद में जिला प्रशासन ने उस त्रिशूल को दिल्ली भेजने की व्यवस्था की.
कार्यक्रम के दौरान तलवार के साथ अनुराग ठाकुर. (फाइल फोटो) ये त्रिशूल 25 किलोग्राम वजन का है और उसे अब पीएमओ में रखा गया है. उसके बाद से हिमाचल में बड़े नेताओं तो त्रिशूल भेंट करने की होड़ लग गई. अनुराग ठाकुर के बाद सीएम जयराम ठाकुर को भी त्रिशूल भेंट किए गए. माना जा रहा है कि आगामी चुनाव में त्रिशूल हिमाचल की राजनीति में नया सियासी हथियार बनेगा.
कार्यक्रम में त्रिशूल के साथ सीएम जयराम ठाकुर. (फाइल फोटो) हिमाचल में टोपियों की सियासत: इससे पहले की बात करें तो हिमाचल में टोपियों की सियासत होती थी. वीरभद्र सिंह के कार्यकाल में बुशहरी टोपी का बोलबाला होता था तो प्रेम कुमार धूमल के समय मैरून कलर की हिमाचली टोपी दिखती थी. कांग्रेस और भाजपा के समर्थक टोपियों के कारण आसानी से पहचान में आ जाते थे. वर्ष 2017 के चुनाव ने हिमाचल की राजनीति को बदल दिया था. दिग्गजों की चुनावी हार के बाद नये युग में जयराम ठाकुर ने सत्ता संभाली.
जयराम ठाकुर को मुख्यमंत्री का पद संभाले हुए दो महीने से कुछ ही अधिक दिन का समय हुआ था कि उनकी एक खासियत समूचे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गई. जयराम ठाकुर ने कहा था कि वो टोपियों की सियासत में विश्वास नहीं रखते और एक नई शुरुआत करेंगे. जयराम ठाकुर ने टोपियों की सियासत में न फंसते हुए वाकई नई शुरूआत की. वे अकसर बिना टोपी पहने विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होते रहे.
हिमाचली टोपी में सीएम जयराम ठाकुर. (फाइल फोटो) हालांकि कई बार सीएम जयराम ठाकुर मैरून रंग की पट्टी वाली टोपी पहनते भी दिखाई दिए. मैरून रंग की टोपी को हिमाचल में प्रेम कुमार धूमल के साथ जोड़ा जाता है. लेकिन उस समय लोग अचंभित रह गए, जब जेपी नड्डा के राज्यसभा के लिए निर्विरोध निर्वाचित होने के बाद एक समारोह में जयराम ठाकुर हरे रंग की पट्टी वाली किन्नौरी टोपी में नजर आए. इस रंग की पट्टी वाली टोपी को कांग्रेस व वीरभद्र सिंह के साथ जोड़ा जाता रहा है.
हिमाचली टोपी पहने हुए सीएम जयराम ठाकुर. (फाइल फोटो) कई बार बिना टोपी के भी नजर आते हैं सीएम जयराम: पूर्व में झांके तो पांच साल पहले चुनाव में जीत के बाद से ही हिमाचल प्रदेश में जयराम ठाकुर के सीएम बनने की चर्चा थी. जिस समय पीटरहॉफ में केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने जयराम ठाकुर के नाम का सीएम पद के लिए ऐलान किया, वे उस समय कोई टोपी नहीं पहने हुए थे. बाद में कार्यकर्ताओं व समर्थकों के जश्न के दौरान भी उन्होंने टोपी नहीं पहनी. फिर आया शपथ ग्रहण का समारोह, उस दौरान भी जयराम ठाकुर ने कोई टोपी नहीं पहनी.
हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर. (फाइल फोटो) बाद में जेपी नड्डा के राज्यसभा के लिए निर्वाचित होने पर जयराम ठाकुर ने हरी पट्टी वाली किन्नौरी टोपी पहनी. फिर अपने गृह क्षेत्र सिराज के दौरे पर गए जयराम ने मैरून रंग की पट्टी वाली टोपी लगाई थी. इससे पहले प्रेम कुमार धूमल की सरकार के समय वे हर समय मैरून रंग की टोपी पहने रहते थे. छह बार के हिमाचल के सीएम वीरभद्र सिंह के दौर में हरे रंग की पट्टी वाली टोपी पहनने का चलन था. हिमाचल में इसे टोपियों की सियासत कहा जाता था.
अलग-अलग हिमाचली टोपियों में सीएम जयराम ठाकुर. सत्ता परिवर्तन के साथ बदला टोपियों का रंग: सत्ता परिवर्तन के साथ ही यहां टोपियों का रंग भी बदल जाता था. सत्ताधारी दल के साथ निष्ठा जताते हुए बहुत से लोग उसी रंग की टोपी पहन लेते थे. बाद में सीएम जयराम ठाकुर ने इस परंपरा पर लगभग विराम सा लगा दिया. हालांकि बड़े नेताओं के आगमन पर उन्हें जरूर मैरून रंग की टोपी सम्मान स्वरूप भेंट की जाती रही. पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर गृह मंत्री अमित शाह को भी मैरून टोपी भेंट की गई.
हिमाचली टोपी में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और प्रेम कुमार धूमल. (फाइल फोटो) अब नया चलन त्रिशूल के रूप में आया है. मंडी में पीएम नरेंद्र मोदी से इस चलन की शुरुआत हुई. चुनावी साल में कई बड़े नेता हिमाचल आएंगे. भाजपा के उन नेताओं को भी त्रिशूल भेंट किए जाएंगे. हिमाचल की राजनीति को करीब से परखने वाले वरिष्ठ मीडिया कर्मी उदयवीर का कहना है कि यहां राजनीति में संकेत बहुत महत्व रखते हैं. भाजपा एक त्रिशूल के जरिए कई संकेत दे रही है.
कार्यक्रम में त्रिशूल के साथ केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर. ये भी पढ़ें:बिना पैसों के देवभूमि की ब्रांडिंग करते हैं PM Modi, दुनिया भर में पहुंचाई हिमाचली टोपी, ऑर्गेनिक शहद और यह चीजें
चुनावी साल में तलवार से त्रिशूल तक का सफर: ऐसा प्रतीत हो रहा है कि भाजपा ने काफी सोच-विचार कर इस संकेत को चुना है. वहीं, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप का कहना है कि मंडी में पीएम नरेंद्र मोदी को जो त्रिशूल भेंट किया गया था, उसका कारण मंडी का छोटी काशी वाला संबंध हैं. त्रिशूल हमारी परंपरा में है और मेहमानों को परंपरागत रूप से ही कोई न कोई भेंट की जाती है. पीएम नरेंद्र मोदी को त्रिशूल भेंट करने को इसी रूप में देखना चाहिए. उसके बाद भी पार्टी में कई नेताओं को त्रिशूल भेंट किया गया है. खैर, ये देखना दिलचस्प होगा कि चुनावी साल में तलवार (himachal assembly elections 2022 ) से त्रिशूल तक का ये सफर कैसे आगे बढ़ता है.
कार्यक्रम के दौरान तलवार के साथ अनुराग ठाकुर. (फाइल फोटो) ये भी पढ़ें:मिशन रिपीट बनाम मिशन डिलीट: प्रतिभा राज में क्या कांग्रेस कर पाएगी करिश्मा