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तीन पंचायतों में शिक्षकों के 46 पद कई साल से खाली, हिमाचल हाईकोर्ट का शिक्षा सचिव को नोटिस

शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में तीन पंचायतों के स्कूलों में कई साल से शिक्षकों के 46 पद खाली पड़े होने का मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने शिक्षा सचिव को नोटिस जारी (High Court notice to Education Secretary) कर सारी जानकारी मांगी है.

Himachal Pradesh High Court
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

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Published : Sep 20, 2022, 8:10 PM IST

Updated : Sep 20, 2022, 8:27 PM IST

शिमला: साक्षरता और शिक्षा के मंच पर कई बार पुरस्कृत हिमाचल में तस्वीर का एक और पहलू है. यहां एक विधानसभा क्षेत्र की तीन पंचायतों में शिक्षकों के 46 पद कई साल से खाली हैं. मामला शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र का है. शिक्षकों के खाली पदों से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही थी. इलाके के एक जागरूक नागरिक ने याचिका के माध्यम से हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में गुहार लगाई कि शिक्षकों के पद भरे जाएं. इस पर हाईकोर्ट ने शिक्षा सचिव को नोटिस जारी (High Court notice to Education Secretary) कर सारी जानकारी मांगी है.

शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र से पूर्व में वीरभद्र सिंह और वर्तमान में उनके बेटे प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. यहां की तीन पंचायतों के स्कूलों में अध्यापकों के 46 पद खाली पड़े हैं. स्थानीय निवासी पुष्पेंद्र कुमार ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर अदालत से गुहार लगाई. पुष्पेंद्र कुमार ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि शिमला ग्रामीण विधानसभा के कुछ इलाके पिछड़े हुए हैं और इस कारण इस क्षेत्र के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने में राज्य सरकार विफल रही है. इन स्कूलों में शिक्षकों के कई पद अरसे से खाली पड़े हैं.

शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र (Shimla Rural Assembly Constituency) की तीन ग्राम पंचायतों धरोगड़ा, बाग और हिमरी के छह स्कूल ऐसे हैं, जहां शिक्षकों के पद लंबे समय से खाली हैं. राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल बनूना में शिक्षकों के 16 पद पिछले सात वर्ष से खाली हैं. इसी तरह राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला धरोगड़ा में शिक्षकों के 13 पद, बाग स्कूल में भी शिक्षकों के 10 पद, राजकीय माध्यमिक पाठशाला हिमरी में एक पद, गढेरी स्कूल में 3 पद और गडाहू स्कूल में 3 पद खाली पड़े हैं. इस पर हाईकोर्ट ने शिक्षा सचिव को नोटिस जारी किया है.

याचिका में दलील दी गई कि शिक्षा का अधिकार मौलिक अधिकार की श्रेणी में आता है. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए संविधान में दिए गए प्रावधानों के अनुसार केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों ही फैसला ले सकती हैं. इस क्षेत्र में राज्य सरकार शिक्षा का अधिकार अधिनियम (education system in himachal) के प्रावधानों को लागू करने में नाकाम रही है.

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Last Updated : Sep 20, 2022, 8:27 PM IST

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