शिमला:हिमाचल प्रदेश में तमाम प्रयासों के बाद भी कैंसर के मरीजों में कमी नहीं आ रही है. बीमारियों से होने वाली मौतों का सबसे बड़ा कारण भी कैंसर है. प्रदेश में पुरुषों में लंग कैंसर तो महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) अधिक हो रहा है. चिकित्सकों को मानना है कि हिमाचल में 40 साल से नीचे वाली 30 प्रतिशत महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की शिकार हो रही हैं. एक साल के अंदर 650 के करीब ब्रेस्ट कैंसर के मरीज आ जाते हैं, जो कि एक चिंता का विषय है.
प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में हार्ट अटैक और ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों को मुफ्त में इंजेक्शन दिया जा रहा है. यह इंजेक्शन मुफ्त दवा नीति के तहत दिया जा रहा है. सरकार ने दो साल पहले मुफ्त दवा नीति को मरीजों की मदद के लिए शुरू किया था. इसके तहत बहुत से मंहगे इंजेक्शन मरीजों को मुफ्त उपलब्ध करवाएं जाते हैं. इस नीति के तहत एसेंशियल ड्रग लिस्ट को मॉडिफाई किया गया था. आंकड़ों के मुताबिक मरीजों को हार्ट अटैक ज्यादातर सुबह के समय आता है और समय पर अस्पताल न पहुंचने पर मौत भी हो सकती है.
ज्यादातर मरीज मंहगे इंजेक्शन को खरीद नहीं पाते हैं. कई बार समय के अभाव के कारण भी इंजेक्शन नहीं लग पाता है, जिसके बाद मरीज को स्टंट और एंजियोग्राफी करवानी पड़ती है. यह मामला सरकार के ध्यान में लाया गया था. मरीजों को राहत देते हुए प्रदेश सरकार ने हाल ही में इन इंजेक्शन को मुफ्त दवा नीति के तहत शामिल किया है.
प्रदेश में 70 से 80 फीसदी ऐसे परिवार हैं, जो कि जरूरत पड़ने पर भी इंजेक्शन नहीं ले पाते हैं. बाजार में एक टेनेक्टेपल्स इंजेक्शन की कीमत लगभग 45 हजार रुपये है. जानकारी अनुसार अब तक 300 मरीज इस योजना का लाभ उठा चुके हैं. वहीं, बाजार में बाजार में ब्रेस्ट कैंसर के इंजेक्शन की कीमत लगभग 50 से 60 हजार रुपये तक है. वहीं हर साल लगभग 600 महिलाएं इससे ग्रसित होती है. टेस्टिजमैब इंजेक्शन नाम के इस इंजेक्शन को हर तीन हफ्ते में लगाना पड़ता है, जो कि साल में 18 बार लगता है. इसमें 10 लाख तक का खर्चा आता है. अब तक आईजीमएसी में 12 महिलाएं इसका लाभ उठा चुकी हैं.