शिमला: एमसी शिमला की वोटर्स लिस्ट (MC Shimla voters list) में बाहरी विधानसभा क्षेत्रों से संबंधित वोटर्स को शामिल न करने के प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई अब 27 सितंबर को होगी. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में इस मामले में सुनवाई टल गई है. न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति चंद्र भूषण बारोवालिया की खंडपीठ ने सुनवाई को मंगलवार तक टाल दिया है.
इस संदर्भ में कुणाल वर्मा ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है. याचिका के अनुसार शहरी विकास विभाग ने 9 मार्च को एक अधिसूचना जारी की थी. अधिसूचना के लागू होने से नगर निगम शिमला (MC Shimla voter list) की परिधि में रह रहे करीब 20 हजार मतदाता वोटर्स लिस्ट से बाहर हो जाएंगे. उल्लेखनीय है कि नगर निगम शिमला की परिधि तीन विधानसभा क्षेत्रों से जुड़ती है. ये विधानसभा क्षेत्र शिमला शहरी, कसुम्पटी व शिमला ग्रामीण हैं. मौजूदा नगर निगम का कार्यकाल 18 जून को पूरा हो गया है.
याचिकाकर्ता कुणाल वर्मा का कहना है कि वो एमसी, शिमला की मतदाता सूची में मतदाता के रूप में पंजीकृत होना चाहते है, लेकिन अधिसूचना के आधार पर उसे एमसी, शिमला की मतदाता सूची में मतदाता के रूप में पंजीकृत होने के अधिकार से वंचित कर दिया गया है. प्रार्थी का आरोप है कि ऐसा पहली बार किया गया है. इस प्रावधान के अनुसार यदि कोई मतदाता उस विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र के मतदाता के रूप में पंजीकृत है, जो एमसी, शिमला का हिस्सा नहीं है, तो उसे एमसी में निर्वाचक के रूप में अयोग्य घोषित किया जाएगा.
यह अधिसूचना जारी करके सरकार ने हिमाचल प्रदेश नगर निगम चुनाव नियम, 2012 के नियम 14, 16 और 26 में संशोधन (Himachal Pradesh Municipal Corporation Election) किया है. इससे अन्य विधायी निर्वाचन क्षेत्र के निर्वाचकों को नगर निगम के मतदाता होने से रोक दिया गया है जो एमसी क्षेत्र का हिस्सा नहीं है. यह अधिसूचना उस नागरिक के नगर निगम क्षेत्र में वोट देने के संवैधानिक और वैधानिक अधिकार को खत्म करती है जो नगर निगम का सामान्य निवासी होने के साथ साथ किसी अन्य विधानसभा क्षेत्र का मतदाता भी है. प्रार्थी का आरोप है कि विवादित अधिसूचना जारी करने की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी ढंग से नहीं की गई है और संबंधित मतदाता की आपत्तियां भी आमंत्रित नहीं की गई हैं. मामले की सुनवाई 27 सितंबर को होगी.