शिमला: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दरों और संग्रह का निर्धारण) नियम, 2008 के उल्लंघन में टोल के कथित संग्रह के मामले में जिला सोलन के सनवारा टोल प्लाजा में सामान्य राशि से दोगुना शुल्क वसूलने के संबंध में अगली सुनवाई को राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है. याचिकाकर्ता ने यह मुद्दा उठाया कि जिन लोगों ने फास्ट-टैग की सुविधा नहीं ली है, उनसे टोल की सामान्य राशि से दोगुना शुल्क लिया जा रहा है.
मुख्य न्यायाधीश, मोहम्मद रफीक और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर ये आदेश पारित किए. प्रार्थी के अनुसार सनवारा में टोल प्लाजा अवैध और राष्ट्रीय राजमार्गों से जुड़े नियमों के विपरीत है. राजमार्ग शुल्क (दरों और संग्रह का निर्धारण) नियम, 2008 के अनुसार कोई भी 2 टोल प्लाजा 60 किलोमीटर की दूरी के भीतर एक ही खंड में नहीं हो सकते.
प्रार्थी के अनुसार एक अन्य टोल प्लाजा चंडीमंदिर, जिला पंचकुला में स्थित है और जिला सोलन के परवाणू में 60 किलोमीटर के भीतर सनवारा टोल प्लाजा बनाया गया है. प्रार्थी ने यह भी आरोप लगाया है कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने परवाणू-सोलन अनुभाग के 95 फीसदी से कम काम को पूरा बताते हुए ठेकेदार कम्पनी मेसर्स जी.आर इंफ्राप्रोजेक्ट्स को गलत और मनमाने ढंग से कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी किया है. प्रार्थी का आरोप है कि काम पूरा होने से पहले टोल वसूला जा रहा है.
निर्माण कार्य और फ्लाईओवर के निर्माण कार्य का बड़ा अधूरा है ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि 95 प्रतिशत कार्य भी पूरा कर लिया गया है. प्रार्थी के अनुसार जनता को आधी अधूरी सुविधाओं के लिए बेतहाशा दरों से टोल टैक्स देने को मजबूर किया जा रहा है. यह भी आरोप लगाया कि राजमार्ग का ठीक से रखरखाव भी नहीं किया गया है. राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे बसे कस्बे और गांव से जुड़ने वाली सड़कों के बीच उचित बैरिकेडिंग भी नहीं की गई है. याचिकाकर्ता ने भारतीय राष्ट्रीय प्राधिकरण द्वारा मैसर्ज जीआर इन्फ्राप्रोजेक्ट्स को दिया गया ठेका निर्माण पूर्णता प्रमाण पत्र रद्द करने की प्रार्थना की है और सनवारा टोल प्लाजा पर देय टोल टैक्स दरों को नियत करने वाली अधिसूचना को रद्द करने की गुहार लगाई है.