शिमला: केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आज दिल्ली में आयोजित बैठक में सिरमौर जिले के ट्रांसगिरी क्षेत्र के लोगों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा (Tribal status to Giripar of Sirmaur) प्रदान करने की मंजूरी दे दी है. इस फैसले के बाद भाजपा नेताओं ने केंद्र सरकार और विशेष तौर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त किया है. बीजेपी पूर्व विधायक हाटी नेता बलदेव तोमर (hati community leader baldev tomar) ने ETV भारत से खास बातचीत में कहा कि आज केंद्रीय मंत्रिमंडल ट्रांसगिरी क्षेत्र में रहने वाले हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने को मंजूरी प्रदान की है. इसके लिए प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार.
सिरमौर में भाजपा को पांचों सीटों पर जीत की उम्मीद: बलदेव तोमर ने कहा कि गिरिपार की 154 पंचायतें इस क्षेत्र में पड़ती है. यूनियन कैबिनेट के इस फैसले से लगभग साढ़े तीन लाख लोगों को इसका सीधा लाभ मिलने वाला है. हाटी समुदाय में 14 जातियां रजिस्टर्ड हैं. उन्होंने कहा कि राजनीति में इसका बहुत बड़ा लाभ भाजपा को मिलेगा. उन्होंने कहा कि जिस गंभीरता के साथ भाजपा सरकार ने इस मुद्दे को लिया है इसका लाभ विधानसभा चुनाव (Himachal Assembly Elections 2022) में भाजपा को मिलेगा. उन्होंने कहा कि सिरमौर जिले की पांचों विधानसभा सीटों पर भाजपा को जीत हासिल होगी.
'बाहरी ताकतें कर रहीं स्थानीय लोगों को बरगलाने की कोशिश': उन्होंने कहा कि केंद्र और प्रदेश में कई बार कांग्रेस की सरकार रही, लेकिन उन्होंने कभी इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया. उन्होंने कहा कि सीएम जयराम ठाकुर ने हर मंच से कहा कि गिरिपार क्षेत्र में कभी कोई भेदभाव नहीं रहा है, लेकिन बाहर के कुछ लोग इस क्षेत्र के लोगों के बरगलाने का प्रयास कर रहे हैं. बाहरी ताकतों स्थानीय लोगों को उकसाने का प्रयास किया है. बलदेव तोमर ने कहा कि सीएम लगातार मंच से कहते आ रहे हैं कि हाटी समुदाय के लोगों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे. उनके अधिकारों का कभी हनन नहीं होगा.
पांच दशक से अनुसूचित जनजाति दर्जा की मांग: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के ट्रांसगिरी क्षेत्र में रहने वाला हाटी समुदाय पांच दशक से अनुसूचित जनजाति का दर्जा मांग रहा था. उन्हीं, जैसी संस्कृति, परंपराओं और परस्पर संबंधों वाले जौनसार एवं बावर क्षेत्र के लोगों को 1967 में ही अनुसूचित जनजाति का दर्जा दे दिया गया था. प्रदेश सरकार ने मई 2005 में इसका प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा, लेकिन यूपीए सरकार ने इसे खारिज कर दिया था. इसके बाद राज्य की कांग्रेस सरकार ने कुछ नहीं किया. हिमाचल में जब बीजेपी की सरकार आई और प्रेम कुमार धूमल मुख्यमंत्री बने तो फिर कोशिश शुरू की गई. अगस्त 2011 में हाटी समुदाय की संस्कृति और स्थिति पर नई रिपोर्ट बनाने का काम शुरू किया गया.
2018 में सीएम जयराम ने केंद्रीय गृह मंत्री के सामने उठाया था मुद्दा: मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने 4 अगस्त 2018 को केंद्रीय गृहमंत्री और केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री से ये विषय उठाया था. केंद्र से इस विषय पर ताजा एथनॉग्राफिक प्रस्ताव मांगा गया. एथनॉग्राफी का मतलब है किसी समुदाय के रहन-सहन, खान-पान, संस्कृति और परंपराओं का अध्ययन. हिमाचल सरकार ने नया एथनॉग्राफिक प्रस्ताव तैयार करके केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय को भेजा. मुख्यमंत्री ने एक बार फिर 10 मार्च 2022 को केंद्रीय गृहमंत्री को पत्र भेजकर आग्रह किया कि रजिस्ट्रार ऑफ इंडिया को हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा (Scheduled Tribe status to Hati community) देने के प्रस्ताव पर विचार करने के निर्देश दें.