शिमला: हिमाचल प्रदेश ने डेढ़ दशक के अंतराल में 22 करोड़ से अधिक पौधे लगाए हैं. बड़ी बात है कि इन पौधों की सर्वाइवल रेट भी अस्सी फीसदी है. इस समय हिमाचल प्रदेश में 28.4 फीसदी फॉरेस्ट कवर हो गया है. पहले यह आंकड़ा 27 फीसदी था. राज्य के कुल क्षेत्रफल का 66 फीसदी से अधिक हिस्सा अलग-अलग तरह के जंगलों से ढंका (Green cover increased in Himachal Pradesh) है.
हिमाचल में फॉरेस्ट कवर बढ़ाने के लिए अलग-अलग योजनाएं चल रही हैं. हिमाचल ने देश के सामने मिसाल पेश करते हुए ग्रीन फैलिंग पर रोक लगाई है और यहां किसी भी हरे पेड़ की टहनी काटने की भी इजाजत नहीं है. हिमाचल प्रदेश का लक्ष्य अपने ग्रीन कवर को 33 फीसदी तक करने का है. केंद्र की तरफ से जारी टारगेट के अनुसार हिमाचल को 2030 तक 30 फीसदी ग्रीन कवर करना है.
हिमाचल प्रदेश में वनों की विविधता भी देश के अन्य राज्यों के लिए प्रेरक है. यहां के जंगलों में औषधीय पौधों सहित अन्य जीवनोपयोगी पौधे रोपे जाते हैं. हिमाचल प्रदेश के कुल क्षेत्रफल का 66 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र अलग-अलग किस्म के पेड़ों से ढंका है. स्टेट फॉरेस्ट रिपोर्ट 2019 के अनुसार राज्य के फॉरेस्ट कवर एरिया में 333.52 वर्ग किलोमीटर की बढ़ोतरी हुई है. बेशक देश के दक्षिणी राज्यों के मुकाबले पहाड़ी राज्य हिमाचल की वन एरिया में बढ़ोतरी अपेक्षाकृत कम है, परंतु हिमाचल का अधिकांश क्षेत्र वनों से ढंका है. छोटा राज्य होने के बावजूद 66 फीसदी ग्रीन कवर एरिया होना कम उपलब्धि नहीं है.
हिमाचल में पौधारपोण अभियान: प्रदेश की जनता को हरियाली के आंदोलन से जोड़ने के लिए राज्य सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं. जिनमें हिमाचल में सामुदायिक वन संवर्धन योजना, विद्यार्थी वन मित्र योजना, वन समृद्धि-जन समृद्धि योजना, एक बूटा बेटी के नाम योजनाएं शामिल हैं. इसके अलावा हर साल वन महोत्सव में भी पौधों का रोपण (Tree Plantation Campaign in Himachal) किया जाता है.
सितंबर 2019 में एक बूटा, बेटी के नाम योजना शुरू की थी. योजना शुरू होने के बाद जिस परिवार में बेटी का जन्म हुआ है, वहां वन विभाग पांच पौधे देता है. ये पौधे बेटी के नाम रोपे जाते हैं. परिवार को पौधों के आलावा एक किट भी दी जाती है, जिसमें 5 ट्री गार्ड, 20 किलोग्राम खाद व बच्ची की नेमप्लेट होती है. परिवार के सदस्य पौधे की देखभाल करते हैं. साथ ही पंचायतें, वन विभाग व स्थानीय प्रशासन इस काम में मदद करता है. एक किट की कीमत 1775 रुपए के करीब है. लगाए गए पौधे की नियमित देखभाल सुनिश्चित की जाती है.
अब तक प्रदेश में 32 हजार परिवार इस योजना में अपनी बिटिया के नाम पौधा लगा चुके हैं. राज्य के वन विभाग के मुखिया अजय श्रीवास्तव (Himachal forest department head Ajay Srivastava) का कहना है कि विभाग का लक्ष्य अपने फॉरेस्ट कवर को 33 फीसदी करना है. उन्होंने बताया कि बेटी के नाम पौधा लगाने से भारत की प्रकृति को पूजने की परंपरा को भी पोषण देगा. न केवल माता-पिता बल्कि बेटियों का भी पौधों से सहज लगाव होगा.