किन्नौरः उत्तराखण्ड के चमोली क्षेत्र में बाढ़ आने के बाद अब जिला किन्नौर में भी पहाड़ियों से पिघल रही हैं. बर्फ से वर्ष 2000 व 2005 जैसी बाढ़ आने की संभावनाएं जताई जा रही हैं. जिला किन्नौर के जानकारों का कहना है कि जिला के ऊपरी पहाड़ियों पर टिके ग्लेशियर अब दिन प्रतिदिन पिघलकर कम हो रहे हैं, जो जिला के लिए कभी भी नुकसानदायक हो सकता है.
हर वर्ष मौसम में बदलाव के चलते पहाड़ों पर बर्फ के पिघलने का सिलिसला जारी है. बढ़ती गर्मी से अब जिला के नदी नाले भी उफान पर आ रहे हैं. ऐसे में कभी भी क्षेत्र में बाढ़ की संभावना जताई जा रही है.
जिला में परियोजनाओं के बड़े-बड़े बांध
जिला किन्नौर में रहने वाले शोधकर्ता आईएल नेगी ने कहा कि जिला में परियोजनाओं द्वारा बनाए गए बड़े-बड़े बांध, जिसमें बिजली उत्पादन के लिए पानी इकट्ठा किया जा रहा है. यह बांध का पानी जब फटने के बाद सतलुज में प्रवेश करेगा तो कभी भी जिला के तटीय क्षेत्रों को नुकसान पहुंचा सकता है. उनका कहना है कि जिला के पहाड़ियों पर सैकड़ों बर्फ की सिल्लियां हैं जो सैकड़ों वर्षों से जमी हुई है और इनके आसपास छोटे बड़े तालाब बने थे, जोकि बर्फ पिघलने से भर चुके हैं.
उत्तराखण्ड के चमोली की त्रासदी