शिमला: हिमाचल में जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली सरकार ने राज्य लोक सेवा आयोग के चेयरमैन व सदस्य को सारी उम्र वित्तीय लाभ की रेवड़ी बांटी है. गुपचुप तरीके से कैबिनेट मीटिंग में सरकार ने आयोग के चेयरमैन और सदस्य को रिटायरमेंट के बाद एक फिक्स वित्तीय लाभ देने को मंजूरी दी. इससे हिमाचल प्रदेश के कर्मचारी भड़क गए हैं. पेंशन और अन्य वित्तीय लाभों का इंतजार कर रहे कर्मचारियों ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ कड़ी नाराजगी जताई है.
ओल्ड पेंशन स्कीम की मांग (Demand for old pension scheme) कर रहे कर्मचारियों ने कहा कि पहले से साधन संपन्न लोगों को सेवानिवृत्ति के बाद भी वित्तीय लाभ दिए जा रहे हैं. वहीं, अग्निपथ योजना का विरोध करने वाले संगठनों ने भी सरकार के इस कदम को गैरजरूरी बताया है. न्यू पेंशन स्कीम के तहत आने वाले कर्मचारी जो लंबे समय से ओपीएस की मांग कर रहे हैं. उनके एनपीएस संघ जिला शिमला के महासचिव नारायण हिमराल ने कहा कि सरकार के इस निर्णय का विरोध किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि पब्लिक सर्विस कमीशन के मेंबर और (Himachal Cabinet Meeting) चेयरमैन अधिकांश ऊंचे ओहदे से रिटायर ही होते हैं और इनको पहले से हजारों रुपये हर माह की पेंशन के रूप में मिलते हैं. ऐसे में इन्हीं को उम्र भर के लिए हर महीने वित्तीय लाभ की घोषणा गलत निर्णय है. एनपीएस महासंघ के प्रदेश प्रवक्ता सदाट ने कहा कि सरकार का यह निर्णय बिल्कुल गलत है. सरकार अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए इस प्रकार के निर्णय ले रही है. एनपीएस कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद दो वक्त की रोटी के मोहताज हो जाते हैं. 2 हजार रुपये पेंशन से किसी का गुजारा नहीं होता.
वहीं, ज्ञान विज्ञान समिति के पदाधिकारी जीयानंद शर्मा का कहना है की पहले से साधन संपन्न लोगों को इस तरह के वित्तीय लाभ देना तर्कसंगत नहीं है आयोग के चेयरमैन व सदस्य मजबूत आर्थिक पृष्ठभूमि से आते हैं वह पूर्व की सेवाओं और आयोग में कार्यरत रहते हुए भी अच्छे वेतन और सुविधाओं का लाभ उठाते हैं उन्हें आयोग से सेवानिवृत्त होने के बाद इस तरह का वित्तीय लाभ देना सरकार के खजाने पर अनावश्यक बोझ है. यह भी गौर करने वाली बात है कि ऐसे लोग पूर्व की सेवाओं में भी अच्छी पेंशन के हकदार होते हैं. इस तरह उन्हें यह गैरजरूरी लाभ दिया जा रहा है.