शिमला:हिमाचल का शीत मरुस्थल दुनिया भर में दुर्लभ प्रजाति के हिम तेंदुए (snow leopard) की पनाहगार के लिए जाना जाता है. प्रदेश में हिम तेंदुओं की संख्या 73 पाई गई है. लेकिन लाहौल स्पीति और पांगी घाटी में हिम तेंदुए के लिए फेरल डॉग (feral dog) खतरा बनते जा रहा रहे हैं. वन्य प्राणी विभाग द्वारा भारतीय प्राणी विज्ञान सर्वेक्षण (जेड.एस.आई.) कोलकाता के सहयोग से किए सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है.
भारतीय प्राणी विज्ञान सर्वेक्षण कोलकाता (Zoological Survey of India Kolkata) द्वारा वन विभाग को सौंपी रिपोर्ट में कहा गया है कि फेरल डॉग (feral dog) की बढ़ती आबादी को नियंत्रित करने की सख्त जरूरत है. फेरल डॉग की संख्या को अगर समय रहते नियंत्रित नहीं किया गया तो आने वाले समय में आवारा कुत्ते बर्फानी तेंदुए के साथ-साथ इंसानों के लिए भी खतरा साबित हो सकते है. हिम तेंदुए के अलावा यह आवारा कुत्ते अन्य वन्य प्राणियों के लिए भी घातक साबित हो रहे हैं.
वन विभाग को सौंपी इस रिपोर्ट में आवारा कुत्तों की नसबंदी और स्थानीय लोगों को जागरूक करने के लिए सालभर गतिविधियां चलाने का सुझाव दिया गया है. यह अध्ययन सिक्योर हिमालय परियोजना (Secure Himalaya Project) के तहत किया गया है. इसे कैमरा ट्रैप और प्रश्नावली के माध्यम से पूरा किया गया है. अब वन विभाग जल्द ही इस रिपोर्ट को राज्य और केंद्र सरकार को सौंपेगा. भारतीय प्राणी विज्ञान सर्वेक्षण रिपोर्ट (Indian Zoological Survey Report) के अनुसार घाटी में घूमने वाले आवारा कुत्तों के मल के अध्ययन से पता चला है कि इनके आहार में मारमोट, भरल, जंगली चूहे या पालतू जानवर भी शामिल हैं.
दरअसल स्थानीय भाषा में इन्हें आवारा कुत्ते ही कहते हैं लेकिन यह फेरल डॉग जंगली कुत्तों और आवारा कुत्तों के बीच की ही प्रजाति है. जब आवारा कुत्ते जंगली जानवरों के भोजन पर निर्भर हो जाते है और जंगलों में ही अपने आवास बना देते है तो उन्हें फेरल डॉग कहा जाता है. पी.सी.सी.एफ. वन विभाग अजय श्रीवास्तव ने कहा कि सिक्योर हिमालय प्रोजेक्ट (Secure Himalaya Project) के तहत फेरल डॉग पर की गई स्टडी पूरी हो गई है. वन्य प्राणी सप्ताह के समापन अवसर पर यह रिपोर्ट विभाग को सौंप दी गई है. रिपोर्ट में जो सुझाव दिए गए हैं अब उन पर अमल किया जाएगा.
लाहौल स्पीति के विधायक और जनजातीय विकास मंत्री रामलाल मारकंडा (Minister Ramlal Markanda) ने कहा कि प्रदेश सरकार ने सीसीटीवी कैमरे (cctv cameras) लगाकर एक सर्वे करवाया है. जिसके बाद यह बात सामने आई की क्षेत्र में आवारा कुत्तों की बड़ी समस्या सामने आ रही है. यह कुत्ते बड़ी संख्या में इकट्ठा होकर शिकार करते हैं. कुछ सालों से ये कुत्ते हिम तेंदुए (snow leopard) का भी शिकार कर रहे हैं. इस प्रकार की बातें स्थानीय लोगों के माध्यम से सामने आई हैं. लेकिन अब ये लोगों के लिए भी भारी परेशानी का कारण बन गए हैं.
उन्होंने कहा कि लाहौल स्पीति में पिछले 2-3 सालों से भालुओं का भी काफी आतंक था. जनजातीय विकास मंत्री ने कहा कि कुगति में कांग्रेस शासन काल में भालुओंं के लिए सेंचुरी खोली गई थी. इससे भारी संख्या में भालू वहां वहां दिन को ही दिखाई देते थे. बड़ी संख्या में भालुओं ने वहां आतंक मचाया था. मंत्री ने कहा कि पिछले कुछ सालों से अब आवार कुत्तों का आतंक बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने एक सर्वे करवाया था जिससे पता चला कि क्षेत्र के वन्य प्राणियों और स्थानीय लोगों के लिए आवारा कुत्ते बड़ी समस्या हो गए हैं. उन्होंने कहा कि यह कुत्ते इकट्ठे होकर वन्य प्राणियों का शिकार भी करते हैं. सर्दियों के मौसम में स्थानीय होटल और ढाबे इत्यादि बंद हो जाते हैं. जिसके बाद इन कुत्तों को खाने के लिए कुछ नहीं मिलता और ये कुत्ते जंगली जानवरों को खाना शुरू कर देते हैं.