शिमला: राजधानी शिमला में संयुक्त किसान मंच की बैठक संयोजक हरीश चौहान की अध्यक्षता में हुई. इस दौरान कई अहम फैसले लिए गए. मीटिंग में आगामी समय में मंच किसानों के मुद्दों को लेकर किस प्रकार से भविष्य मे कार्य करेगी, इस पर चर्चा की गई. मंच का कहना है कि 24 अगस्त को सरकार को मांग पत्र भेजा था. 13 सिंतबर को 13 मांगों को लेकर एक ज्ञापन ब्लॉक, तहसील, उपमंडल व जिला स्तर से सरकार को भेजा गया था. परन्तु सरकार ने आज दिन तक मंच को बातचीत के नहीं लिए बुलाया.
बैठक में एकमत से निर्णय लिया गया कि सरकार के इस किसान विरोधी रवैये के खिलाफ भविष्य में आंदोलन तेज किया जाएगा और निर्णय लिया गया कि प्रदेश में हो रहे उपचुनाव में सरकार से जवाब मांगा जाएगा. मंच पूरे प्रदेश में पोस्टर व किसानों की बैठकों के माध्यम से सरकार के रवैये के खिलाफ के लिए जवाबदेही की मांग करेगी. बैठक में 22 अक्टूबर को मंडी में प्रस्तावित प्रदर्शन में भी भाग लेने पर भी सहमति बनी.
बैठक में संजय चौहान, दीपक सिंघा, सुंदर नैनटा, डॉ. कुलदीप सिंह तंवर, सुशील, डॉ राजिंदर चौहान, सत्यवान, राम लाल, सुखदेव, त्रिलोक मेहता, कपिल, जिया नन्द आदि सदस्यों ने भाग लिया.
मुख्या मांगें.
- सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय कर इसे कानूनी रूप से लागू किया जाए.
- धान, गेहूं, मक्की व अन्य फसलों की खरीद के लिए मंडी स्थापित करने की मांग.
- हिमाचल प्रदेश में भी कश्मीर की तर्ज पर मंडी मध्यस्थता योजना पूर्ण रूप से लागू की जाए.
- प्रदेश की विपणन मंडियों में एपीएमसी कानून को सख्ती से लागू किया जाए.
- किसानों के आढ़तियों व खरीददारों के पास बकाया पैसों का भुगतान तुरन्त करवाया जाए.
- अदानी व अन्य कंपनियों के सीए स्टोर में इसके निर्माण के समय शर्तों के अनुसार बागवानों को 25 प्रतिशत सेब रखने के प्रावधान किया जाए.
- किसान सहकारी समितियों को स्थानीय स्तर पर सीएम स्टोर बनाने के लिए सरकार द्वारा 90 प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जाए.
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