शिमला: हिमाचल में किसानों की आय (Farmers income in Himachal) दोगुना करने का दावा होता आ रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है. हिमाचल के किसान (farmers in himachal ) सालाना 706 हजार मीट्रिक टन मक्की की पैदावार करते हैं, लेकिन राज्य सरकार ने इसकी खरीद के लिए कोई केंद्र (maize procurement center in Himachal) नहीं बनाया है. यही नहीं हिमाचल में मक्की पर आधारित कोई साइलेज प्लांट भी नहीं है. हिमाचल के किसान मक्की को जीआई टैग देने की मांग भी कर रहे हैं.
फिलहाल स्थिति यह है कि मक्की की खरीद के लिए न तो कोई सरकारी केंद्र है और न ही कॉर्न बेस्ड साइलेज प्लांट. हालांकि हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा, मंडी, ऊना, सिरमौर और सोलन में बड़ी मात्रा में मक्की का उत्पादन किया जा रहा है. किसान चाहते हैं कि हिमाचल में मक्की (maize farming in himachal) पर आधारित कोई न कोई प्लांट लगे और सरकारी खरीद केंद्र भी खुले, ताकि किसानों को अपनी फसल बेचने में सहूलियत हो. हिमाचल की मक्की स्वाद में अनूठी है और इसका आटा शहरों में 40 से 50 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिकता है. इसके अलावा पोल्ट्री फार्म वाले भी मक्की खरीदते हैं.
यदि मक्की उत्पादन से जुड़े किसानों को प्रोत्साहन मिले और राज्य में मक्की पर आधारित उद्योग लगे तो किसान और अधिक पैदावार के लिए प्रेरित होंगे. हिमाचल के कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर (Himachal Agriculture Minister Virender Kanwar) कहते हैं कि मौजूदा समय में अभी सरकार की तरफ से मक्की खरीदने का कोई प्रस्ताव नहीं है. उन्होंने कहा कि हिमाचल में अभी ऐसी कोई इंडस्ट्री नहीं है जहां कॉर्न बेस्ड साइलेज की व्यवस्था हो. हालांकि हिमाचल में ऊना और सोलन जिला में 2 उद्योग हैं जो मक्की से लिक्विड ग्लूकोज, कॉर्न फ्लेक्स और डेक्सट्रोज आदि तैयार कर रहे हैं.
हिमाचल किसान सभा के अध्यक्ष डॉ. कुलदीप तंवर (Himachal Kisan Sabha President) का कहना है कि हिमाचल में मक्की उत्पादन से जुड़े किसानों को प्रोत्साहन की जरूरत है. वहीं माकपा विधायक राकेश सिंघा ने भी सरकार से कॉर्न बेस्ड साइलेज प्लांट लगाने की मांग की है. राकेश सिंघा का कहना है कि हिमाचल को अपनी जरूरत का साइलेज पड़ोसी राज्य हरियाणा और पंजाब से मंगवाना पड़ता है.