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कैसे होगी किसानों की आय दोगुनी: 700 हजार मीट्रिक टन मक्की की पैदावार, लेकिन हिमाचल में न खरीद केंद्र और न ही उद्योग - माकपा विधायक राकेश सिंघा

हिमाचल के किसान (farmers in himachal ) सालाना 706 हजार मीट्रिक टन मक्की की पैदावार करते हैं, लेकिन राज्य सरकार ने इसकी खरीद के लिए कोई केंद्र नहीं बनाया (maize procurement center in Himachal) है. वहीं, हिमाचल के कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर (Himachal Agriculture Minister Virender Kanwar) कहते हैं कि मौजूदा समय में अभी सरकार की तरफ से मक्की खरीदने का कोई प्रस्ताव नहीं है. सरकार की तरफ से मक्का उत्पादन से जुड़े किसानों को प्रोत्साहन न मिलने के कारण वे इसकी पैदावार के प्रति उदासीन हो रहे हैं.

farmers in himachal
हिमाचल में किसान.

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Published : May 4, 2022, 8:23 PM IST

शिमला: हिमाचल में किसानों की आय (Farmers income in Himachal) दोगुना करने का दावा होता आ रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है. हिमाचल के किसान (farmers in himachal ) सालाना 706 हजार मीट्रिक टन मक्की की पैदावार करते हैं, लेकिन राज्य सरकार ने इसकी खरीद के लिए कोई केंद्र (maize procurement center in Himachal) नहीं बनाया है. यही नहीं हिमाचल में मक्की पर आधारित कोई साइलेज प्लांट भी नहीं है. हिमाचल के किसान मक्की को जीआई टैग देने की मांग भी कर रहे हैं.

फिलहाल स्थिति यह है कि मक्की की खरीद के लिए न तो कोई सरकारी केंद्र है और न ही कॉर्न बेस्ड साइलेज प्लांट. हालांकि हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा, मंडी, ऊना, सिरमौर और सोलन में बड़ी मात्रा में मक्की का उत्पादन किया जा रहा है. किसान चाहते हैं कि हिमाचल में मक्की (maize farming in himachal) पर आधारित कोई न कोई प्लांट लगे और सरकारी खरीद केंद्र भी खुले, ताकि किसानों को अपनी फसल बेचने में सहूलियत हो. हिमाचल की मक्की स्वाद में अनूठी है और इसका आटा शहरों में 40 से 50 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिकता है. इसके अलावा पोल्ट्री फार्म वाले भी मक्की खरीदते हैं.

यदि मक्की उत्पादन से जुड़े किसानों को प्रोत्साहन मिले और राज्य में मक्की पर आधारित उद्योग लगे तो किसान और अधिक पैदावार के लिए प्रेरित होंगे. हिमाचल के कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर (Himachal Agriculture Minister Virender Kanwar) कहते हैं कि मौजूदा समय में अभी सरकार की तरफ से मक्की खरीदने का कोई प्रस्ताव नहीं है. उन्होंने कहा कि हिमाचल में अभी ऐसी कोई इंडस्ट्री नहीं है जहां कॉर्न बेस्ड साइलेज की व्यवस्था हो. हालांकि हिमाचल में ऊना और सोलन जिला में 2 उद्योग हैं जो मक्की से लिक्विड ग्लूकोज, कॉर्न फ्लेक्स और डेक्सट्रोज आदि तैयार कर रहे हैं.

हिमाचल किसान सभा के अध्यक्ष डॉ. कुलदीप तंवर (Himachal Kisan Sabha President) का कहना है कि हिमाचल में मक्की उत्पादन से जुड़े किसानों को प्रोत्साहन की जरूरत है. वहीं माकपा विधायक राकेश सिंघा ने भी सरकार से कॉर्न बेस्ड साइलेज प्लांट लगाने की मांग की है. राकेश सिंघा का कहना है कि हिमाचल को अपनी जरूरत का साइलेज पड़ोसी राज्य हरियाणा और पंजाब से मंगवाना पड़ता है.

आंकड़ों के अनुसार हिमाचल प्रदेश में बिलासपुर में 68.21 हजार मीट्रिक टन, चंबा में 68.37, हमीरपुर में 56.19, कांगड़ा में 147.15, कुल्लू में 39.79, मंडी में 114.11, शिमला में 16.342, सिरमौर में 62.66, सोलन में 62.02 और ऊना में 71.183 हजार मीट्रिक टन मक्की का उत्पादन पिछले सीजन में हुआ. हिमाचल में कांगड़ा, मंडी और ऊना में सबसे अधिक मक्की पैदा की जाती है.

हिमाचल के विभिन्न जिलों में मक्की उत्पादन
बिलासपुर 68.21 हजार मीट्रिक टन
हमीरपुर 56.19 हजार मीट्रिक टन
कांगड़ा 147.15 हजार मीट्रिक टन
कुल्लू 39.79 हजार मीट्रिक टन
मंडी 114.11 हजार मीट्रिक टन
शिमला 16.342 हजार मीट्रिक टन
सिरमौर 62.66 हजार मीट्रिक टन
सोलन 62.02 हजार मीट्रिक टन
ऊना 71.183 हजार मीट्रिक टन

सरकार की तरफ से मक्का उत्पादन से जुड़े किसानों को प्रोत्साहन न मिलने के कारण वे इसकी पैदावार के प्रति उदासीन (maize procurement center in Himachal) हो रहे हैं. सोलन सिरमौर व कांगड़ा जिले में मक्का उगाने वाले किसान बंदरों और जंगली जानवरों से भी परेशान हैं. हिमाचल किसान सभा के अध्यक्ष डॉ. कुलदीप तंवर का कहना है कि हिमाचल के किसानों और बागवानों के लिए फूड तथा फ्रूट प्रोसेसिंग यूनिट्स स्थापित किया जाना बहुत जरूरी है.

यदि हिमाचल में ही अधिक से अधिक फूड तथा फ्रूट प्रोसेसिंग यूनिट्स हों तो किसानों के साथ-साथ युवाओं को रोजगार भी मिल सकेगा. हिमाचल में इस समय सरकारी सेक्टर में मुख्य रूप से एचपीएमसी ही फ्रूट प्रोसेसिंग से जुड़ी है. किसानों का कहना है कि मक्की उत्पादन में मेहनत बहुत अधिक है, लेकिन मक्की के दाम बेहद कम हैं, जिसके कारण अब किसान मक्की उत्पादन से मुंह मोड़ने लगे हैं.

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