शिमला: हिमाचल प्रदेश राज्य विकलांगता सलाहकार बोर्ड (Himachal Pradesh State Disability Advisory Board) के विशेषज्ञ सदस्य और उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव (Umang Foundation President Prof. Ajay Srivastav) ने कहा है कि राज्य के शिक्षा निदेशक (state education director) ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की धज्जियां उड़ाते हुए 60 प्रतिशत से ज्यादा दिव्यांगता वाले दृष्टिबाधित एवं बधिर व्यक्तियों (visually impaired and deaf persons) के स्कूल लेक्चरर बनने पर रोक लगा दी है. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इस साल फरवरी में एक फैसले में कहा था की दृष्टिबाधित और बधिर व्यक्तियों के जज बनने में भी विकलांगता बाधा नहीं हैं. वे आईएएस अधिकारी (ias officer) और विश्वविद्यालय में प्रोफेसर समेत अन्य उच्च पदों पर भी कार्य कर रहे हैं. अदालत का यह भी कहना था कि ऐसे मामलों में आधुनिक तकनीक (modern technology) का सहारा किया जाना चाहिए.
शिक्षा निदेशक द्वारा स्कूल लेक्चरर पदों पर भर्ती (Recruitment for the post of School Lecturer) के लिए हाल ही में निकाले गए विज्ञापन पर उमंग फाउंडेशन (Umang Foundation) ने सख्त एतराज जताया है. इसमें कहा गया है कि 60 प्रतिशत से अधिक विकलांगता वाले दृष्टिबाधित और बधिर व्यक्ति स्कूल लेक्चरर नहीं बन सकते. प्रो. अजय श्रीवास्तव (Pro. Ajay Srivastava) ने राज्य विकलांगता आयुक्त (State Disability Commissioner) से इसकी शिकायत करते हुए कहा कि दोषी अफसरों के खिलाफ जांच (investigation against the guilty officers) बैठाकर कड़ी कार्रवाई की जाए. यदि ऐसा नहीं किया गया तो वे हाईकोर्ट में जनहित याचिका (Public interest litigation) दायर करेंगे. उन्होंने शिकायत में लिखा है कि शिक्षा निदेशक का फरमान बिल्कुल गैरकानूनी, मनमाना (illegal, arbitrary) और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का खुला उल्लंघन है. केंद्र या राज्य सरकार के किसी भी कानून अथवा नियम में इस तरह के भेदभाव पूर्ण प्रावधान (discriminatory provision) नहीं है.