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SPECIAL: अंतर्राष्ट्रीय नर्सिंग दिवस के मौके पर सिस्टर रंजना से ETV भारत की खास बातचीत

अंतर्राष्ट्रीय नर्सिंग दिवस के अवसर पर प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान आईजीएमसी अस्पताल में बाल रोग विभाग के तहत ऑन्कोलॉजी वार्ड में सेवाएं दे रही सिस्टर रंजना अपने सेवा भाव के लिए मरीजों और उनके तीमारदारों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं. अंतर्राष्ट्रीय नर्सिंग दिवस के मौके पर ईटीवी भारत ने सिस्टर रंजना से बातचीत की.

International Nursing Day
अंतर्राष्ट्रीय नर्सिंग दिवस

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Published : May 12, 2020, 5:55 PM IST

शिमला:नर्सों का हमारे जीवन में काफी महत्व है. वह गंभीर से गंभीर मरीज की देखभाल करती हैं. उनके योगदानों और बलिदान के जज्बे को सलाम करने के लिए 12 मई को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के रुप में मनाया जाता है. प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान आईजीएमसी अस्पताल में बाल रोग विभाग के तहत ऑन्कोलॉजी वार्ड में सेवाएं दे रही सिस्टर रंजना अपने सेवा भाव के लिए मरीजों और उनके तीमारदारों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं.

अंतर्राष्ट्रीय नर्सिंग दिवस के मौके पर ईटीवी भारत ने सिस्टर रंजना से बातचीत की. आईजीएमसी अस्पताल के ऑन्कोलॉजी वार्ड में कैंसर और ब्लड डिसऑर्डर से पीड़ित बच्चे इलाज के लिए आते हैं. इस गंभीर बीमारी के कारण बच्चों को कई तरह की तकलीफ झेलनी पड़ती है. इसके साथ ही उनके माता-पिता भी बहुत पीड़ा उठाते हैं.

ऐसे में नर्सिंग स्टाफ का स्नेह पूर्ण व्यवहार ही मरीजों के दर्द पर मरहम का काम करता है. सिस्टर रंजना बच्चों की पीड़ा को अपनी पीड़ा मानती हैं. उन्होंने बताया कि यहां पर प्रदेश भर से बच्चे कैंसर व अन्य रक्त संबंधी बीमारी के इलाज के लिए आते हैं.

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सिस्टर रंजना ने कहा कि वह उनकी प्यार से देखभाल करती हैं. बच्चों के सैंपल इस तरह लिए जाते हैं कि उनको कम से कम दर्द हो. नर्सिज की कोशिश यही रहती है कि एक ही बार में सैंपल लेने की प्रक्रिया पूरी हो जाए. उन्होंने कहा कि वो पिछले 7 साल से यहां सेवाएं दे रही हैं और बच्चों की देखभाल कर रही हैं.

सिस्टर रंजना ने कहा कि मरीजों की देखभाल के लिए उन्हें कई बार घर की जिम्मेदारियां छोड़नी पड़ती हैं. उन्हें कई बार सुबह बहुत जल्दी अस्पताल पहुंचना पड़ता है और कई बार अस्पताल से देर से जाना पड़ता है. उन्होंने डॉक्टर्स की तारीफ करते हुए कहा कि उन्हें वार्ड में डॉक्टर्स की बहुत सहायता मिलती है. शाम को कई बार देर हो जाने पर डॉक्टर खुद ही स्थिति संभाल लेते हैं.

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