नई दिल्ली:रूस और यूक्रेन के बीच का चल रहा भीषण युद्ध सिर्फ जमीन को खून से लाल नहीं कर रहा, बल्कि कई सपनों भी तोड़ रहा (russia ukraine war) है. यूक्रेन की त्रासद घटनाओं को झेलकर अपने देश लौटे टेरणोपिल यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स ईटीवी भारत के साथ जुड़े और अपना अनुभव साझा किया. ईटीवी भारत से वर्चुअल जुड़े छह स्टूडेंट्स ने बताया कि यूनिवर्सिटी की ओर से ज्यादा इंतजाम नहीं किए गए. लिहाजा भारतीय स्टूडेंट्स को अपने ही स्तर पर यूक्रेन बॉर्डर तक का सफर तय करना पड़ा.
रोमानिया बॉर्डर पर भारतीय दूतावास इन छात्रों के लिए मददगार रहा. लेकिन यूक्रेन के अलग-अलग शहरों से गुजरते हुए हर वक्त दिल धड़कता था कि कहीं वे गोलीबारी या मिसाइल के हमले का शिकार न हो जाएं. कभी पैदल, कभी बस की सवारी में जैसे-तैसे बॉर्डर का जो सफर तय किया, वो ऐसा भयावह अनुभव था कि ताउम्र भुलाया नहीं जा सकेगा.
यूक्रेन से लौंटी आयुश्री बता रही हैं कि 10-15 किलोमीटर पैदल चलते हुए हर वक्त मौत का खौफ नजर (indian trapped in ukraine) आया. वहां से लोगों से मदद कैसे मांगते, क्योंकि वे खुद भी युद्ध में मारे जाने की आशंकाओं से घिरे थे. यूक्रेन दरअसल, ऐसा मुल्क बन गया, जहां मूल निवासी और प्रवासी सभी मानों एक साथ शरणार्थी बन गए. कोई फर्क नहीं रहा...सभी को अपनी जान बचाने का रास्ता सिर्फ एक ही सूझ रहा था कि कैसे बॉर्डर पार पहुंचा जाए.