हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / city

10 मार्च से शुरू होंगे होलाष्टक, जानें धार्मिक महत्व...

ईटीवी भारत धर्म में आज हम आपक बताएंगे होलाष्टक के बारे में. ज्योतिषाचार्य डॉ. अनिष व्यास से जानेंगे होलाष्टक का धार्मिक महत्व क्या है और जानेंगे कि आखिर क्यों लगता है होलाष्टक. इस अवधि के दौरान लोगों को क्या करना चाहिए और क्या नहीं साथ ही जानेंगे कि होलाष्टक के दौरान किस प्रकार भगवान की अराधना करें.

10 मार्च से शुरू होंगे होलाष्टक
10 मार्च से शुरू होंगे होलाष्टक

By

Published : Mar 4, 2022, 12:59 PM IST

नई दिल्ली: हिंदू धर्म में होली के पर्व का विशेष महत्व है. साल की शुरुआत होते ही पहला बड़ा त्योहार होली ही है. होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है, लेकिन फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से ही होलाष्टक लग जाता है. होलिका दहन के आठ दिन पहले से होलाष्टक लग जाता है. इस बार होलाष्टक 10 मार्च से 18 मार्च तक लगेगा. फाल्गुन अष्टमी से होलिका दहन तक आठ दिनों तक होलाष्टक के दौरान मांगलिक और शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है. इन आठ दिनों में भले ही शुभ कार्य नहीं किए जाते, लेकिन देवी-देवताओं की अराधना के लिए ये दिन बहुत ही श्रेष्ठ माने जाते हैं.

ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि होलाष्टक शब्द होली और अष्टक से मिलकर बना है. इसका अर्थ है होली के आठ दिन. देशभर में होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा को किया जाता है, पूर्णिमा से आठ दिन पहले से होलाष्टक लग जाता है. होलाष्टक के आठ दिनों के बीच विवाह, मुंडन, गृह-प्रवेश, मकान-वाहन की खरीदारी आदि किसी भी शुभ कार्य की मनाही होती है. हालांकि ये आठ दिन पूजा पाठ के लिहाज से काफी शुभ माने जाते हैं. इस बार होलिका दहन 18 मार्च 2022 को होगा, इसलिए होलाष्टक होली से आठ दिन पहले यानी 10 मार्च 2022 से लग जाएंगे.

होलाष्टक और इसका धार्मिक महत्व : होलाष्टक होलिका दहन से आठ दिन पहले से लग जाता है. इस बार होलाष्टक 10 मार्च से 18 मार्च तक लगेगा. ऐसा माना जाता है कि इस दौरान किसी भी शुभ कार्य को करने की मनाही होती है. होलाष्टक के दिन से होली की तैयारी शुरू हो जाती है. ऐसे में होलाष्टक के दौरान लोग शुभ काम नहीं करते और करने से बचते हैं.

क्यों लगते हैं होलाष्टक :होलाष्टक को लेकर एक कथा प्रचलित है. असुरों के राजा हिरण्य कश्यप अपने बेटे प्रहलाद को भगवान विष्णु की भक्ति से दूर करना चाहते था और इसके लिए उसने इन आठ दिन प्रहलाद को कठिन यातनाएं दीं. इसके बाद आठवें दिन बहन होलिका (जिसे आग में न जलने का वरदान था) के गोदी में प्रहलाद को बैठा कर जला दिया, लेकिन फिर भी प्रहलाद बच गए. इसलिए इन आठ दिनों को अशुभ माना जाता है और कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते. होलाष्टक के दौरान सोलह संस्कार सहित सभी शुभ कार्यों को रोक दिया जाता है. इन दिनों गृह प्रवेश या किसी अन्य भवन में प्रवेश करने की भी मनाही होती है. इतना ही नहीं, नई शादी हुई लड़कियों को ससुराल की पहली होली देखने की भी मनाही होती है.

होलाष्टक पर न करें ये कार्य : फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होलाष्टक लग जाता है. होलाष्टक लगते ही हिंदू धर्म से जुड़े सोलह संस्कार समेत कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए. चाहे कोई नया घर खरीदना हो या कोई नया व्यवसाय शुरू करना हो सभी शुभ कार्य रोक दिए जाते हैं. यदि इस दौरान किसी की मृत्यु हो जाती है तो उनके अंतिम संस्कार के लिए भी शांति कराई जाती है. एक मान्यता के अनुसार किसी भी नवविवाहिता को अपने ससुराल की पहली होली नहीं देखनी चाहिए.

होलाष्टक पर करें आराधना : एक तरफ होलाष्टक में 16 संस्कार समेत कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है, वहीं यह समय भगवान की भक्ति के लिए उत्तम माना जाता है. होलाष्टक के दौरान दान-पुण्य करने से विशेष फल प्राप्त होता है. इस दौरान मनुष्य को अधिक से अधिक भगवत भजन और वैदिक अनुष्ठान करने चाहिए, ताकि समस्त कष्टों से मुक्ति मिल सके. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलाष्टक में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से हर तरह के रोग से छुटकारा मिलता है और सेहत अच्छी रहती है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details