शिमला: चुनावी साल की दस्तक सुनते ही हिमाचल सरकार ने कर्मचारियों पर मेहरबानी दिखाई है. जयराम सरकार ने कर्मचारियों को वेतन आयोग के अनुसार संशोधित वेतनमान देने का फैसला किया है. इससे कर्मचारियों को चार हजार करोड़ रुपए का लाभ होगा, लेकिन सरकार पर कर्ज का बोझ बढ़ेगा. हिमाचल सरकार पहले से ही 62 हजार करोड़ से अधिक के कर्ज में डूबी है.
सरकारी कर्मचारी निरंतर नए वेतन आयोग को लागू करने की मांग उठा रहे थे. अब हिमाचल में करीब 2 लाख सरकारी कर्मचारियों को जनवरी 2016 से संशोधित वेतनमान मिलेगा. ऐसे में अगले साल यानी जनवरी 2022 का वेतन बढ़े हुए संशोधित वेतनमान के रूप में होगा. फिलहाल जनवरी 2016 से दिसंबर 2021 तक के एरियर को लेकर सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया है. यदि एरियर भी देना हो तो खजाने पर कम से कम एक हजार करोड़ का और बोझ पड़ेगा. बड़ी बात यह है कि राज्य सरकार इससे पूर्व एरियर के रूप में कर्मचारियों को 5 हजार करोड़ रुपए आईआर यानी अंतरिम राहत दे चुकी है.
उल्लेखनीय है कि हिमाचल में नया वेतन आयोग पहली जनवरी 2016 से लागू होना है. इस वेतन आयोग के (new pay commission in Himachal) मुताबिक औसत रूप में कर्मचारियों को साढ़े सोलह हजार के करीब वेतन वृद्धि मिलेगी. जयराम सरकार ने कर्मचारियों के लिए चुनावी साल में वेतन आयोग का तोहफा तो दे दिया है, लेकिन खजाने पर पड़ने वाले आर्थिक बोझ को लेकर सरकार के पास कोई ठोस विजन नहीं है. पहाड़ी राज्य हिमाचल के पास खुद के आर्थिक संसाधन नहीं है कैग की रिपोर्ट में पिछले एक दशक से निरंतर चेतावनी दी जा रही है कि हिमाचल को आय के संसाधन तलाशने होंगे वर्ना कर्ज के जाल में प्रदेश बुरी तरह उलझ (Debt on Himachal government) जाएगा. अब सरकार ने नए संशोधित वेतनमान का ऐलान कर दिया है. इस तरह हिमाचल में सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशनर्स की पेंशन पर कुल बजट का 50 फीसदी खर्च होगा. विकास के लिए अब बजट में और भी कम राशि रह जाएगा.
हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष अश्वनी ठाकुर का कहना है कि सरकारी कर्मचारी अपना हक मांगते हैं और राज्य के विकास में सरकारी कर्मचारियों का अहम योगदान है. वहीं, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का कहना है (CM Jairam on Himachal Debt) कि प्रदेश के भारी भरकम कर्ज का कारण पूर्व की कांग्रेस सरकार रही है. उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने अपनी सीमाओं के भीतर रहकर ही कर्ज लिया है. यही नहीं कांग्रेस सरकार के समय लिए गए कर्ज का ब्याज भी वर्तमान सरकार चुका रही है.
उल्लेखनीय है कि 2012 यानी नौ साल पहले जब प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली सरकार ने सत्ता छोड़ी थी तो हिमाचल प्रदेश पर 28760 करोड़ रुपए का कर्ज था. बाद में वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के समय यह कर्ज बढक़र 47906 करोड़ रुपए हो गया. अब हिमाचल पर 62 हजार करोड़ रुपए से (Loan on Jairam government) अधिक का कर्ज है. वित्तायोग के चेयरमैन एनके सिंह ने हिमाचल सरकार को सलाह दी है कि पर्यटन के क्षेत्र में इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ाकर सरकार राजस्व जुटा सकती है. हिमाचल में अभी भी कई अनछुए पर्यटन स्थल हैं जिनका विकास किया जाए तो सैलानी आकर्षित होंगे. पूर्व राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने रिलीजियस टूरिज्म सर्किट को बढ़ावा देने की बात कही थी. हिमाचल में शक्तिपीठ हैं और वहां बेहतर सुविधाएं जुटाकर साल भर धार्मिक सैलानियों को आकर्षित किया जा सकता है.