शिमला: प्रदेश में निजी स्कूलों को सरकार की ओर से कोविड महामारी के दौरान छात्रों से सिर्फ ट्यूशन फीस लेने के आदेश जारी किए गए थे. लेकिन अब निजी स्कूल शिक्षा विभाग से इन आदेशों को वापिस लेकर उन्हें पूरी फीस छात्रों से लेने के आदेश जारी करने की मांग कर रहे हैं. अब शिक्षा विभाग की ओर से एक नया प्रपोजल सरकार को भेजा गया है. इस प्रपोजल के तहत विभाग ने सरकार से निजी स्कूलों की ट्यूशन फीस के साथ ही अन्य फंड वसूलने पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है.
निजी स्कूल यह हवाला दे रहे हैं कि उन्होंने सरकार और विभागों के आदेशों का पालन करते हुए कोविड-19 के संकट के बीच में अभिभावकों से मात्र 3 माह तक ट्यूशन फीस ही ली है. किसी भी तरह के कोई अन्य फंड अभिभावकों से निजी स्कूलों ने नहीं वसूले हैं. निजी स्कूल आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं और शिक्षकों की सैलरी तक देना उनके लिए मुश्किल होता जा रहा है.
यही वजह है कि अब निजी स्कूल ट्यूशन फीस के साथ ही निजी स्कूल सभी तरह के फंड अभिभावकों से लेने की अनुमति मांग रहे हैं. निजी स्कूल लगातार विभाग पर इस बात का दबाव बनाते दिख रहे हैं कि मात्र ट्यूशन फीस वसूलने की जो शर्त निजी स्कूलों पर लगाई गई है उसे हटा दिया जाए. इसके पीछे की वजह यह भी है कि अभी स्कूलों में एडमिशन का दौर शुरू हो चुका है और ऐसे में अब निजी स्कूल चाह रहे हैं कि छात्रों से पूरी फीस वसूली जा सके.
शिक्षा विभाग की ओर से सरकार को जो प्रस्ताव भेजा गया है. इस पर सरकार कैबिनेट की बैठक में ही फैसला लेगी. फैसला आने के बाद यह भी पता लगेगा कि सरकार अभिभावकों पर भारी भरकम फीस का बोझ डालती है या निजी स्कूलों पर सख्ती दिखाती है.
प्रदेश के निजी स्कूलों में अभी छात्रों की कक्षाएं नहीं लगाई जा रही हैं. ऐसे में जब स्कूल खुलेंगे और छात्र नियमित रूप से स्कूलों में आना शुरू करते है तभी निजी स्कूलों को छात्रों की 100 फीसदी हाजिरी होने और ट्यूशन फीस के साथ ही अन्य फंड लेने की छूट मिल सकती है.