शिमला: हिमाचल प्रदेश के युवाओं को नशा खोखला कर (Drugs in Himachal) रहा है. हालांकि पुलिस ने इस साल नशा तस्करों के खिलाफ सख्त एक्शन लिया है, लेकिन ड्रग्स का जाल काटने में पुलिस को सफलता नहीं मिल रही है. खासकर युवा चिट्टे के सेवन से अपना जीवन बर्बाद कर रहे (Youths of Himachal addicted with Chitta) हैं. पुलिस को नशे के खिलाफ बनाए गए एप्प पर शिकायतें भी मिल रही हैं. अभिभावक तक इस एप्प पर शिकायतें कर रहे हैं. जिस पर पुलिस कार्रवाई भी कर रही है, लेकिन स्थिति चिंताजनक बनी हुई है.
हर साल बढ़ रहा नशे का ग्राफ: यदि हिमाचल में एनडीपीएस एक्ट के तहत सामने आए आंकड़ों पर नजर डालें तो हालात खुद चिंताजनक तस्वीर बयान करती है. हिमाचल प्रदेश में एनडीपीएस एक्ट के तहत वर्ष 2014 में 644 मामले सामने आए थे. फिर वर्ष 2015 में ये आंकड़ा थोड़ा कम हुआ. उस साल 622 मामले आए. उसके बाद 2016 में उछाल आया और पुलिस ने 929 मामले दर्ज किए. वर्ष 2017 में ये आंकड़ा 1010 हो गया और 2018 में 1342 मामलों तक पहुंच गया. वर्ष 2019 में ये आंकड़ा 1400 से अधिक हो गया था. वर्ष 2020 में ये मामले 1377 थे. फिर ये 2021 में बढ़कर 1392 हुए और इस साल यानी 2022 में अब तक साढ़े आठ सौ से अधिक मामले दर्ज किए जा चुके हैं.
पड़ोसी देशों से हो रही तस्करी: हिमाचल में युवा नशे के लिए चिट्टे का प्रयोग कर रहे हैं. इस पर विधानसभा में भी चिंता जताई जा चुकी है. प्रदेश का कोई जिला ऐसा नहीं है, जहां चिट्टे की बरामदगी न हो. खासकर, सीमांत जिलों कांगड़ा, ऊना व उसके साथ लगते इलाकों में चिट्टे का प्रकोप अधिक है. पुलिस के अनुसार हिमाचल में विदेश से भी नशा तस्करी होती है. पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान में तैयार किए गए नशीले पदार्थ भारत स्मगल किए जाते हैं.