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डॉक्टर रविंद्र मोक्टा केएनएच अस्पताल, जबकि लोकेंद्र शर्मा होंगे रिपन के एमएस

सरकार ने रिपन अस्पताल शिमला (Ripon Hospital Shimla) के एमएस डॉ. रविंद्र मोक्टा को केएनएच अस्पताल में तैनाती दी है. वह शुक्रवार को केएनएच अस्पताल में ज्वाइन करेंगे. इसी तरह रिपन अस्पताल शिमला (Ripon Hospital Shimla) में उनकी जगह अब डॉ. लोकेंद्र शर्मा को एमएस बनाया गया है. डॉ. लोकेंद्र शर्मा इससे पहले भी बीते वर्ष कोरोना के दौरान रिपन अस्पताल में बतौर एमएस कार्यरत थे.

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Published : Nov 25, 2021, 9:46 PM IST

शिमला: आखिर डेढ़ माह बाद केएनएच अस्पताल शिमला (KNH Hospital Shimla) को नया एमएस मिल गया है. सरकार ने रिपन अस्पताल (Ripon Hospital) के एमएस डॉ. रविंद्र मोक्टा को केएनएच अस्पताल में तैनाती दी है. वह शुक्रवार को केएनएच अस्पताल में ज्वाइन करेंगे. इसी तरह रिपन अस्पताल में उनकी जगह अब डॉ. लोकेंद्र शर्मा को एमएस बनाया गया है. डॉ. लोकेंद्र शर्मा इससे पहले भी बीते वर्ष कोरोना के दौरान रिपन अस्पताल शिमला (Ripon Hospital Shimla) में बतौर एमएस कार्यरत थे.

डॉ. लोकेंद्र शर्मा ने शुक्रवार शाम को अस्पताल में ज्वाइनिंग भी दे दी है. गौरतलब है कि केएनएच के एमएस का पद (Post of MS of KNH) कई महीने से खाली चल रहा था. अस्पतालों में सरकार ने करीब 10 लाख तक रुपये तक के टेंडर करने की पावर एमएस को ही दी है. ऐसे में यदि मरीजों की सुविधा के लिए कोई सामान की खरीद की जानी है तो उसके लिए एमएस अपने स्तर पर टेंडर अलॉट कर सकते हैं.

इसके लिए अस्पताल में दवाएं, इंजेक्शन, बेड और मरीजों को दी जाने वाली सभी तरह की सुविधाएं भी एमएस ही देखते हैं. अस्पताल से संबंधित सरकार के समक्ष कोई भी बैठक में एमएस ही भाग लेते हैं और अस्पताल की समस्याओं को सरकार के पास उठाते हैं, जबकि अब बिना एमएस के यह सभी कार्य रूके हैं. एमएस की स्थाई नियुक्ति के बाद ही यह कार्य किए जाएंगे.

केएनएच अस्पताल शिमला (KNH Hospital Shimla) महिलाओं के लिए प्रदेश का सबसे बेहतर अस्पताल है. यहां पर रोजाना 1000 से ज्यादा महिलाएं जांच के लिए आती है, जबकि रोजाना यहां पर 25 से 30 महिलाओं की डिलिवरी भी करवाई जाती है. केएनएच अस्पताल में महिलाओं का प्रसव का इलाज फ्री किया जाता है. इसके लिए कई तरह के सामान की जरूरत रहती है. जो समय-समय पर प्रशासन अपने स्तर पर खरीद करता रहता है. हर माह यहां पर दवाएं और अन्य सामान की खरीद की जाती है. ऐसे में एमएस का पद खाली होने से इस तरह के प्रोसेस करना मुश्किल रहता है, क्योंकि एमएस की मंजूरी के बाद ही अस्पताल में मरीजों के लिए खरीद फरोक्त की जा सकती है.

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