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अकादमिक भत्ते को लेकर आईजीएमसी में विरोध शुरू, 4 अक्टूबर को सामूहिक अवकाश का ऐलान

डॉक्टर अकादमिक भत्ता जारी करने की मांग को लेकर हिमाचल के सभी वरिष्ट चिकित्सकों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है (Doctor Academic Allowance Demand In Himachal) और आगामी 4 अक्टूबर को सामूहिक अवकाश पर रहने का ऐलान किया (Doctor Strike in Himachal) है. पढ़ें पूरी खबर...

Doctor Academic Allowance Demand In Himachal
IGMC के वरिष्ट डॉ. काले बिल्ले लगाकर कर रहे काम.

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Published : Sep 30, 2022, 1:54 PM IST

शिमला:चुनावी साल में सीएम जयराम ठाकुर की मुश्किलें कम होती नजर नहीं दिखाई दें रही हैं. अबप्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में काम कर रहे वरिष्ठ चिकित्सकों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया (Doctor protest in Himachal) है. चिकित्सक काफी समय से डॉक्टर अकादमिक भत्ता जारी करने की मांग कर रहे (Doctor Academic Allowance Demand In Himachal) हैं. वरिष्ठ चिकित्सकों ने आज आईजीएमसी में विरोध स्वरूप काले रिबन लगा कर काम किया और आगामी 4 अक्टूबर को सामूहिक अवकाश पर रहने का ऐलान किया है. जिससे मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.

250 डॉ. सामूहिक अवकाश पर जाएंगे: स्टेट एसोसिएशन ऑफ मेडिकल एंड डेंटल कॉलेज टीचर्स के अध्यक्ष डॉ. राजेश सूद ने बताया कि सरकार ने स्पेशलिस्ट डॉक्टरों का अकादमिक भत्ता 7500 से 18000 रुपए कर दिया है. इसका वे स्वागत करते हैं, लेकिन मेडिकल कॉलेजों में काम करने वाले डॉक्टरों को अभी तक यह भत्ता नहीं दिया गया है. सरकार ने कमेटी बनाई थी, लेकिन इस कमेटी ने इस अकादमिक भत्ते की अभी तक कोई सिफारिश नहीं की है. ऐसे में लगभग 250 डॉक्टर सामूहिक अवकाश पर जाएंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदार सरकार की (Senior Doctor protest in IGMC Shimla) होगी.

अस्पताल में जारी रहेगी इमरजेंसी सेवाएं: गौर हो कि आईजीएमसी में प्रदेशभर से मरीज रेफर किए जाते हैं. ऐसे में डॉक्टर के सामूहिक अवकाश पर जाने से मरीजों को इलाज नहीं मिल पाएगा और उन्हें परेशानी झेलनी पड़ सकती है. वार्डों में भी इससे दिक्कतें होंगी. हालांकि स्टेट एसोसिएशन ऑफ मेडिकल एंड डेंटल कॉलेज टीचर्स के उपाध्यक्ष डॉ. रामलाल, महासचिव डॉ. जीके वर्मा, सहसचिव डॉ. विनय सौम्या ने आपातकालीन सेवाएं जारी रखने की बात कही है.

IGMC में रोज होती है 3000 OPD:आईजीएमसी अस्पताल में रोजाना 3000 से अधिक मरीजों की ओपीडी होती है. इसमें 100 से अधिक मरीज आपातकाल में इलाज करवाने आते हैं. इतने ही नए मरीज हर रोज अस्पताल में दाखिल किए जाते हैं. ऐसे में जूनियर डॉक्टरों के कंधों पर कार्यभार अधिक होने से मरीजों को दिक्कतें झेलनी पड़ सकती हैं. प्रदेश भर से मरीजों के उपचार के लिए आने से यहां अक्सर भीड़ भी रहती है.

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