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हिमाचली कला को मिलेगी नई पहचान, स्टोल-स्कार्फ पर उकेरी जाएंगी पांडुलिपियां

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Published : Jul 13, 2019, 11:39 PM IST

Updated : Jul 13, 2019, 11:46 PM IST

विभाग ने विलुप्त हो रही पांडुलिपियों को एक नई पहचान देने के लिए उनका एक स्टोल तैयार किया है. यह स्टोल अभी सैंपल के तौर पर ही तैयार किया गया है, लेकिन जल्द ही इस तरह के अन्य स्टोल बनाकर इसे पर्यटकों को खरीदारी के लिए उपलब्ध करवाए जाएंगे.

Deptt of language and culture New Plan for Manuscripts

शिमला: हिमाचल के शिल्प को लोगों तक पहुंचाने के लिए अब एक नया प्रयास भाषा एवं संस्कृति विभाग की ओर से किया जा रहा है. इस प्रयास के तहत प्राचीन पांडुलिपियों को भी शिल्प में किस तरह पिरोया जा सकता है इसका एक अनोखा विकल्प विभाग की ओर से तलाशा गया है.

विभाग ने विलुप्त हो रही पांडुलिपियों को एक नई पहचान देने के लिए उनका एक स्टोल तैयार किया है. यह स्टोल अभी सैंपल के तौर पर ही तैयार किया गया है, लेकिन जल्द ही इस तरह के अन्य स्टोल बनाकर इसे पर्यटकों को खरीदारी के लिए उपलब्ध करवाए जाएंगे.

यह एक अलग प्रयास हिमाचली शिल्प को यहां की ऐतिहासिकता से जोड़ने का विभाग की ओर से किया जा रहा है. हिमाचल में बहुत सी ऐसी पांडुलिपियां है जो विलुप्त होने की कगार पर हैं. इन पांडुलिपियों को भाषा कला एवं संस्कृति अकादमी के पुस्तकालय में सहेज कर रखा गया है.

प्राचीन पांडुलिपियां.

पांडुलिपियों का डिजिटलाइजेशन करने के साथ ही इस तरह से इन्हें अलग रूप देकर सहेजा जा सके इसके लिए यह अनूठा एक्सपेरिमेंट विभाग की ओर से किया गया है. जो स्टोल तैयार किया गया है उस पर लगे बॉर्डर पर पांडुलिपियों का प्रिंट उकेरा गया है जिससे इन पांडुलिपियों को एक अलग पहचान मिल सके और इनका संरक्षण में अलग तरीके से हो सके.

पांडुलिपियों को बचाने के लिए तैयार किए जाएंगे स्टोल-स्कार्फ.

इतना ही नहीं पांडुलिपियों के साथ ही हिमाचल के अन्य शिल्प को प्रमोट करने के लिए और उसे देश विदेशों में पहुंचाने के लिए भी भाषा एवं संस्कृति विभाग अग्रसर है. हिमाचली शिल्प को किस तरह से अलग रूप देकर इसे लोगों तक पहुंचाया जाए और इसकी एक अलग पहचान बनाई जाए इसके लिए निफ्ड से मदद विभाग ले रहा है.

कांगड़ा पेंटिंग के तैयार किए गए आभूषण.

निफ्ड हिमाचली शिल्प को रीडिजाइन कर उसकी फाइनेंसिंग ओर मार्केटिंग करने के साथ ही उसको प्रमोट भी करेगा, जिससे हिमाचली शिल्पकारों को भी एक अलग तरह का प्लेटफॉर्म मिलेगा जिससे वह अपने हुनर को एक नई पहचान दे सकेंगे.

पांडुलिपियों के साथ ही अब चंबा के रुमाल और अन्य तरह के शिल्प को भी एक अलग रूप दे कर उन्हें तैयार कर कम कीमत पर पर्यटकों को उपलब्ध करवाया जाएगा जिससे कि शिल्पकारों को काम मिले और हिमाचली आर्ट को भी बढ़ावा मिले.

इस प्रयास को लेकर भाषा कला एवं संस्कृति विभाग की सचिव डॉ. पूर्णिमा चौहान का कहना है कि हिमाचल के शिल्प को अलग पहचान देने के लिए सरकार अपने स्तर पर काम कर रही है. फिर चाहे बात कांगड़ा पेंटिंग की हो या चंबा रुमाल सबको रीडिजाइन कर उनके अलग स्वरूप तैयार किए जा रहे हैं.

Last Updated : Jul 13, 2019, 11:46 PM IST

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