शिमला: छोटा पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश निरंतर बड़े कर्ज के बोझ (Debt on Himachal government) तले दबता जा रहा है. इस समय हिमाचल प्रदेश में करीब 65 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है. राज्य सरकार ने इसी दौरान एक हजार करोड़ रुपये का कर्ज और लेने की अधिसूचना जारी की है.
हिमाचल के पास खुद के आर्थिक संसाधन न के बराबर हैं. यदि कर्ज लेने की रफ्तार यही रही तो आने वाले समय में हिमाचल प्रदेश पर एक लाख करोड़ रुपये का कर्ज हो जाएगा. ऐसा इसलिए कि हिमाचल सरकार के बजट का बड़ा हिस्सा कर्मचारियों के वेतन और पेंशनर्स की पेंशन पर खर्च (Himachal budget spent on salary and pension) हो जाता है. फिर एक हिस्सा लिए गए कर्ज को लौटाने और एक हिस्सा कर्ज के ब्याज की अदायगी पर चला जाता है. इस तरह विकास कार्यों के लिए बहुत कम राशि बचती है.
इन पर निर्भर है हिमाचल का विकास: हिमाचल सरकार प्रदेश में विकास के लिए केंद्र और केंद्रीय योजनाओं सहित एक्सटर्नल फंडिड प्रोजेक्ट्स पर निर्भर करती है. अभी राहती का बात है कि हिमाचल प्रदेश को वित्त आयोग की तरफ से रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट और केंद्र की तरफ से जीएसटी का हिस्सा मिलता है. आने वाले समय में तय नियमों के अनुसार रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट का पैसा धीरे-धीरे कम होता जाएगा. इसी तरह अभी केंद्र से जीएसटी कंपनसेशन का पैसा मिलने पर भी संशय है.
ऐसे में हिमाचल को अपनी आर्थिक गाड़ी (Himachal State Debt status) कर्ज लेकर ही चलानी होगी. इससे भी बड़ी चिंता की बात है कि हिमाचल सरकार ने नए वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू किया है. उसके बाद राज्य सरकार पर पांच हजार करोड़ रुपये के एरियर के भुगतान का भी बोझ आएगा. इसके अलावा सरकार ने कर्मचारियों को कई वित्तीय लाभ दिए हैं. ऐसे में राज्य सरकार का खर्च निरंतर बढ़ेगा और आमदनी बढ़ने के आसार खास नहीं हैं.
कैसी है हिमाचल की आर्थिक स्थिति:आइए, देखते हैं कि इस समय हिमाचल सरकार की आर्थिक स्थिति (Himachal Pradesh economic condition) क्या है और आने वाला समय कैसे संकट से भरपूर होगा. हिमाचल पर इस समय करीब 65 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है. पांच साल पहले जब वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली सरकार सत्ता से हटी थी तो हिमाचल प्रदेश पर कर्ज का बोझ 47906 करोड़ रुपये था. उससे पहले जब प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने 2012 में सत्ता छोड़ी तो हिमाचल प्रदेश पर 28760 करोड़ रुपये का कर्ज था.
स्थिति चिंताजनक: ऐसे में कह सकते हैं कि दस साल में हिमाचल प्रदेश पर दोगुने से अधिक कर्ज हो गया है. यानी हिमाचल पर दस साल में 36 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज बढ़ गया. अब स्थिति चिंताजनक इसलिए है कि हिमाचल सरकार ने नए वेतन आयोग को लागू किया है. सरकारी कर्मियों को एरियर देना है और पेंशनर्स को भी बढ़ी हुई पेंशन भी हर महीने देय होती है. ऐसे में आने वाले दस साल या उससे पहले ही ये कर्ज एक लाख करोड़ रुपये पार हो जाएगा.