किन्नौर: जिला किन्नौर में जलविद्युत परियोजनाओं के (Hydro Power Projects in kinnaur) निर्माणाधीन कार्यों के दौरान उड़ती धूल से वातावरण पूरी तरह प्रदूषित हो गया है. रासायनिक धूल के चलते पेड़-पौधों को भारी नुकसान हो रहा है. शुदारंग के पूर्व प्रधान भागीरथ नेगी का कहना है कि जिले के पोवारी व शौंग ठोंग के मध्य जलविद्युत परियोजना के टनल और अन्य निर्माण कार्यों से निकले मलबे को रात के अंधेरे व दिन के समय गुपचुप तरीके से सतलुज नदी (debris being dumped in sutlej river) सतलुज पर फेंकना आम बात हो गयी है, लेकिन पुलिस प्रशासन और वन विभाग इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है.
हालांकि प्रदेश उच्च न्यायलय ने शौंग ठोंग व पोवारी के मध्य परियोजनाओं के निर्माण कार्य से निकले मलबे को सतलुज मे फेंकने से रोक लगाने (Debris being dumped in Sutlej river) के आदेश भी दिए हैं, लेकिन परियोजनाओं द्वारा उच्च न्यायलय के आदेशों की उल्लंघन की जा रही है. शौंग ठोंग और पोवारी के मध्य जहां जलविद्युत परियोजना के निर्माण कार्य से निकले रासायनिक मलबे को फेंका जा रहा है, ठीक उसके करीब 50 से 100 मीटर दूरी पर सेना का एमीनेशन यानी गोला बारूद का डिपो भी है. ऐसे रासायनिक मलबे को सतलुज व एमीनेशन डिपो के समीप फेंकना खतरे से खाली नहीं है.