शिमला: नगर निगम के पार्षद (municipal councilor) सिक्किम (Sikkim) का दौरा कर वापस लौटकर आ गए. सिक्किम की राजधानी गंगटोक में पार्षदों ने कूड़ा संयंत्र की बारीकियां, पानी वितरण की कार्यप्रणाली से लेकर ट्रैफिक व्यवस्था को देखा. इस दौरान पार्षदों ने पाया कि सिक्किम में साफ सफाई की व्यवस्था काफी अच्छी है. वहां लोग अपने घरों से खुद ही कूड़ा उठाकर कूड़ा गाड़ी तक पहुंचाकर आते हैं. इसके अलावा वहां पर ट्रैफिक व्यवस्था भी करीब-करीब शिमला जैसी ही है. पार्षदों ने यह भी पाया कि वहां पर शहर को साफ सुथरा बनाए रखने में लोगोंं की काफी भागेदारी है.
नगर निगम के उप महापौर शैलेंद्र चौहान (Municipal Corporation Deputy Mayor Shailendra Chauhan) का दावा है कि राजधानी शिमला सिक्किम की राजधानी गंगटोक से काफी बेहतर है. उप महापौर ने बताया कि सिक्किम शहर बिल्कुल शिमला की तरह एक बेहतरीन शहर है. उन्होंने बताया कि वहां सफाई व्यवस्था काफी अच्छी है. लोग अपने घरों से खूद कूड़ा लाकर कूड़ा गाड़ी में डालते है. उन्होंने कहा कि वहां जंगल भी काफी घने और वहां हर घर में फुलों से लेकर टेरेस फार्मिंग भी की जाती है.
उन्होंने कहा कि वहां पानी में कोई कमी नहीं और पानी से लेकर सीवरेज का पूरा काम प्रदेश सरकार देखती है. उन्होंने कहा कि सिक्किम को 2014 में स्मार्ट सिटी का दर्जा मिल गया था, लेकिन उसके बावजूद भी वहां उस तरिके से काम नहीं हुआ जैसा होना चाहिए था. उन्होंने दावा किया की राजधानी शिमला सिक्किम की राजधानी गंगटोक से काफी बेहतर है. शिमला शहर में पानी से लेकर कूड़े की व्यवस्था काफी अच्छी और गंगटोक के मुकाबले शिमला में सभी व्यवस्था अच्छे स्तर पर है.
उन्होंने कहा कि सभी पार्षदों ने वहां काफी कुछ सीखा और वहां की कुछ व्यवस्थाओं को शिमला में भी लागू करने का प्रयास किया जाएगा. बता दें कि शिमला नगर निगम के 20 पार्षद इस लर्निंग टूर (learning tour) पर गए थे. इससे पहले करीब 2 साल पहले नगर निगम शिमला (Municipal Corporation Shimla) के पार्षद पोर्ट ब्लेयर (Port Blair) के दौरे पर गए थे, लेकिन उस समय टूर का कोई फायदा नहीं हुआ था. वहीं, अब पार्षद सिक्किम का दौरा कर वापस आए हैं.