शिमलाः कोरोना ने हर वर्ग को बुरी तरह प्रभावित किया है. कोरोना की दूसरी लहर ने तो आम आदमी के जीवन पर बेहद नकारात्मक प्रभाव डाला. कोरोना की वजह से संक्रमण के आंकड़ों पर काबू पाने के लिए लॉकडाउन लगाया गया और लॉकडाउन की वजह से कामगारों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया.
लॉकडाउन की वजह से गतिविधियां बंद हुई. इससे रोज कमा कर खाने वाले लोगों के सामने समस्या पैदा हुई. कोरोना की दूसरी लहर ने सबसे ज्यादा प्रभाव कामगारों पर डाला. सरकार ने मजदूरों के हित को ध्यान में रखते हुए कंस्ट्रक्शन के काम को जारी रखने का फैसला लिया, लेकिन प्लंबर, इलेक्ट्रीशियन और मकैनिक का काम करने वाले लोगों का काम लॉकडाउन की वजह से चौपट हो गया.
कोरोना काल में नहीं मिल रहा काम
लॉकडाउन की वजह से जहां दुकान में काम कर रहे कर्मचारियों को अपनी नौकरी से हाथ गंवाना पड़ा. तो वहीं, दूसरी ओर दुकान मालिकों को भी भारी नुकसान हुआ. कामकाज ठप होने की वजह से कई कामगार वापस अपने घरों को लौट गए. सामान्य दिनों में यह कामगार शहर भर में लोगों के घरों पर जाकर रिपेयर जैसे काम किया करते थे, लेकिन कोरोना की वजह से कामगारों को काम के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है.
काम पूरी तरह से प्रभावित
कोरोना के खतरे के बीच लोग बाहरी लोगों से संपर्क करने में भी हिचकिचा रहे हैं. ऐसे में लोगों को घर पर जाकर काम की सुविधा देने वाले इन कामगारों के सामने समस्या खड़ी हो गई है. राजधानी शिमला के संकट मोचन के नजदीक वर्कशॉप चलाने वाले राजिंदर सिंह ने बताया कि कोरोना से उनका काम बुरी तरह प्रभावित हुआ है. लोग गाड़ी ब्रेकडाउन होने पर उन्हें घर पर ही ठीक करने के लिए बुलाते थे, लेकिन कोरोना की वजह से होम सर्विस देना तो दूर, दुकान पर भी काम नहीं चल रहा.
सिलेंडर की कमी के कारण नहीं हो पा रहा वेल्डिंग का काम
राजिंदर सिंह बताते हैं कि कोरोना की वजह से जब ऑक्सीजन की कमी सामने आई, तब प्रशासन की ओर से उनकी दुकानों से ऑक्सीजन के सिलेंडर लिए गए. वर्कशॉप पर इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन की मदद से वेल्डिंग का काम किया जाता है, लेकिन संकट के इस दौर में इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन को भी मेडिकल ऑक्सीजन की भरपाई के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. ऐसे में उनका वेल्डिंग का काम बंद पड़ा हुआ है.