शिमला: तीसरी लहर में कोरोना की लहर धीमी पड़ी है. ये लोगों के लिए राहत है, क्योंकि, स्कूल खुलने के बाद बच्चे अब घरों से बाहर निकले हैं. कोरोना की पहली और दूसरी लहर आने से जहां 250 से अधिक लोग एडमिट किए गए थे, जबकि तीसरी लहर में ये संख्या कम हुई हैं. अब सिर्फ 11 मरीज ही आईजीएमसी में एडमिट हैं.
खास बात ये है कि इस तीसरी लहर में किसी भी कोरोना मरीज को वेंटिलेटर (corona cases in himachal pradesh) की जरूरत नहीं पड़ी. आईजीएमसी में अभी केवल वही मरीज आ रहे हैं, जिन्हें बीच-बीच में सांस लेने में परेशानी हो रही है. अन्य मरीजों को होम आइसोलेशन में रहने की सलाह ही दी जा रही है.
हालांकि, कोरोना की पहली लहर में लगभग सभी पॉजिटिव को अस्पतालों या कोविड केयर सेंटर में रखा जाता था. दूसरी लहर में भी कोविड केयर सेंटरों में उन मरीजों को रखा जाता था, जिनके पास या तो एक ही कमरा होता था और परिवार साथ में रहता था या व्यक्ति खुद कोविड केयर सेंटर आना चाहता था. मगर अब तीसरी लहर में सीरियस मरीजों को ही अस्पताल में एडमिट किया जा रहा है.
वैक्सीन लगने के बाद कुछ लोग हुए लापरवाह: अभी जो कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं, उनमें वही लोग कोरोना संक्रमित पाए जा रहे हैं, जो लापरवाही बरत रहे हैं. कोरोना वैक्सीनेशन भी जिले में तेजी से चल रही है, मगर इसका असर ऐसा हो रहा है कि अब लोग लारपरवाह होते जा रहे हैं.
ज्यादातर लोग यह सोच रहे हैं कि उन्हें अब कोरोना की दोनों डोज लग चुकी है और उन्हें कोरोना नहीं होगा. मगर अभी भी 25 फीसदी लोग ऐसे आ रहे हैं, जिन्हें कोरोना की या तो एक डोज लगी है या दोनों. डॉक्टर पहले से ही एक बात बोल रहे हैं कि कोरोना वैक्सीन रिस्क को कम करेगी न कि कोरोना से बचाएगी. ऐसे में अगर लोग मास्क पहनेंगे और भीड़ में जाने से बचेंगे तो ही वह कोरोना से सुरक्षित रह सकते हैं.