शिमला: चुनावी साल में हिमाचल प्रदेश में विपक्षी दल कांग्रेस वादों की बौछार कर रहा है. कांग्रेस के बड़े नेता मुकेश अग्निहोत्री ने घोषणा पत्र जारी होने से पहले ही वादा कर दिया कि सत्ता में आने पर 18 साल की किशोरियों से लेकर साठ साल की महिलाओं को डेढ़ हजार रुपए प्रति महीना दिए जाएंगे. बाद में उनके दावे पर छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने मुहर लगाई. सोमवार को कांग्रेस नेता भूपेश बघेल (Chhattisgarh CM Bhupesh Baghel) ने दो कदम आगे बढ़कर कहा कि सत्ता में आने पर कांग्रेस सरकार पांच लाख युवाओं को रोजगार देगी.
इसके अलावा सरकार बनाने के दस दिन के भीतर ओपीएस लागू की जाएगी. कांग्रेस पर्यवेक्षक भूपेश बघेल की इन घोषणाओं के बाद हिमाचल के सियासी गलियारों में नई चर्चा शुरू हो गई है. हिमाचल प्रदेश पर 63 हजार करोड़ रुपए का कर्ज (Debt Bured in Himachal Pradesh) है. इसके अलावा हिमाचल प्रदेश में रोजगार कार्यालयों में 8.73 लाख बेरोजगार युवा पंजीकृत हैं. सरकार का खजाना ओपीएस का लाभ देने की स्थिति में नहीं है और न ही अपने बूते 18 से 60 साल की फीमेल को हर महीने पंद्रह सौ रुपए देने की व्यवस्था हो सकती है. उधर, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को चुनाव के दौरान सियासी दलों की तरफ से मुफ्त की रेवड़ियां बंद करने के तरीके तलाश करने को कहा है. केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को इस पर जवाब देना है. ऐसे में हिमाचल में कांग्रेस के दावों और वादों की पड़ताल जरूरी है.
हिमाचल में बोरोजगार युवाओं की संख्या: हिमाचल प्रदेश में 8.73 लाख बेरोजगार युवा (Unemployment in Himachal Pradesh) हैं. प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा में पंजीकृत बेरोजगार युवाओं की संख्या 1,84,793 है. उसके बाद सीएम के गृह जिला मंडी का नंबर आता है. मंडी जिले में पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या 1,66,051 है. दिसंबर 2021 तक के आंकड़े बताते हैं कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में प्रदेश में 1.68 लाख से अधिक युवाओं ने रोजगार के लिए नाम दर्ज करवाया. सरकार सेक्टर में 1301 नौकरियों में से 616 की प्लेसमेंट हुई. निजी सेक्टर में दिसंबर 2021 तक 2183 युवाओं को रोजगार मिला. अब कांग्रेस एक साल में पांच लाख रोजगार कैसे उपलब्ध करवाएगी, ये बड़ा सवाल है.
हिमाचल पर कर्ज: वहीं, दूसरी तरफ देखें तो हिमाचल प्रदेश पर इस समय 63 हजार करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज (Debt Bured in Himachal Pradesh) है. हिमाचल में 18 से 60 साल की फीमेल की संख्या अगर 20 लाख भी मानी जाए तो सालाना 3600 करोड़ रुपए इसके लिए चाहिए. हिमाचल का कुल बजट का आकार 50 हजार करोड़ से कुछ अधिक है. विकास कार्यों को लेकर हिमाचल प्रदेश केंद्र और एक्सटर्नल फंडिड प्रोजेक्ट पर निर्भर है. इस तरह यथार्थ की कसौटी पर कसें तो कांग्रेस के दावों पर सवालिया निशान लगते हैं.