शिमला: एक बार फिर से नॉर्थ जोन काउंसिल की बैठक (North Zone Council meeting) होने जा रही है. इस बार ये बैठक राजस्थान के जयपुर में 9 जुलाई को होगी. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर बैठक में भाग लेने के लिए जयपुर जाएंगे. गृह मंत्री अमित शाह की अगुवाई में बैठक (Home Minister Amit Shah in North Zone Council meeting) होगी. जहां तक हिमाचल के हक की बात है, ये पहाड़ी राज्य हर बार बैठक से आश्वासन लेकर ही लौटता आया है.
डबल इंजन की सरकार का भी हिमाचल को नहीं मिला लाभ: सरकार चाहे वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली है, चाहे प्रेम कुमार धूमल की अगुवाई वाली या फिर अब जयराम ठाकुर की लीडरशिप वाली, हिमाचल हर बार खाली हाथ ही रहा है. केंद्र में डबल इंजन की सरकार का भी हिमाचल को कोई लाभ नहीं मिला है. राजस्थान के साथ जमीन के पट्टों को लेकर कुछ प्रगति जरूर हुई थी, लेकिन बीबीएमबी यानी भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (Bhakra Beas Management Board) के तहत चल रही परियोजनाओं में हिमाचल के हिस्से का एरियर अभी तक नहीं मिला है. ये राशि चार हजार करोड़ रुपये के करीब है. सुप्रीम कोर्ट से भी हिमाचल के हक में फैसला आया है, लेकिन संबंधित राज्य एरियर देने में आनाकानी करते आ रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट से हिमाचल के हक में फैसला: समय-समय पर हिमाचल प्रदेश में सत्तासीन रही सरकारें पंजाब, हरियाणा व राजस्थान से अपना हक लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक गई हैं. सुप्रीम कोर्ट से हिमाचल के हक में फैसला हुआ है. यही नहीं, सत्ता संभालने के बाद 2018 में सीएम जयराम ठाकुर ने संकेत दिए थे कि इस मसले पर अदालत की अवमानना की कार्रवाई भी की जाएगी. हैरानी की बात है कि हरियाणा में पिछली दो टर्म से भाजपा की सरकार है और उसने मसला सुलझाने के सकारात्मक संकेत भी दिए, लेकिन जमीन पर कोई काम नहीं हुआ. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद हिमाचल को पंजाब से अपना हक नहीं मिल रहा. पंजाब की विभिन्न सरकारें इस मामले में हिमाचल को अनदेखा करती रही हैं. हिमाचल को पंजाब से बीबीएमबी की हिस्सेदारी से दो हजार करोड़ रुपये से अधिक की रकम मिलनी है.
पंजाब पुनर्गठन कानून के तहत हिमाचल मांग रहा हिस्सेदारी: हिमाचल व पंजाब के पुनर्गठन के समय कुछ इलाके हिमाचल में शामिल हुए थे. भाखड़ा-ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड के तहत चल रही बिजली परियोजनाओं में हिमाचल का हिस्सा जो पहले ढाई फीसदी थी, पुनर्गठन के बाद 7.19 फीसदी तय हुआ था. अपने हक के लिए राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी और ठीक एक दशक पहले सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल के पक्ष में फैसला दिया था. पंजाब व हरियाणा से हिमाचल को 4200 करोड़ रुपये मिलने हैं. पंजाब पुनर्गठन कानून के तहत हिमाचल बीबीएमबी प्रोजेक्टों भाखड़ा, डैहर तथा पौंग में 7.19 प्रतिशत की हिस्सेदारी मांग रहा है.
पंजाब और हरियाणा पर 4200 करोड़ एरियर बकाया: हिस्सेदारी के मुद्दे पर पड़ोसी राज्यों पंजाब व हरियाणा के साथ साथ राजस्थान के भी अड़ियल रवैये को देखते हुए हिमाचल सरकार ने करीब दो दशक पहले सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दाखिल की थी. तत्कालीन वीरभद्र सिंह सरकार ने ये याचिका दाखिल की थी. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने जब फैसला दिया तो हिमाचल में प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व में भाजपा की सरकार (Former Himachal Chief Minister Prem Kumar Dhumal) थी. फिर वर्ष 2011 के बाद बीबीएमबी प्रोजेक्टों में प्रदेश को हिस्सेदारी मिल रही है, मगर हिमाचल सरकार को इससे पहले के करीब 42 सौ करोड़ के एरियर की देनदारी पंजाब व हरियाणा ने नहीं की है.