शिमला: अगले साल चुनावी वर्ष में प्रवेश कर रहे हिमाचल भाजपा के लिए मंगलवार का दिन परीक्षा का दिन है. मंडी लोकसभा सीट सहित तीन विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव का परिणाम मंगलवार 11 बजे तक जीत हार के संकेत दे देगा. यह परिणाम सत्ता के सेमी फाइनल का परिणाम होंगे. क्या मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और उनकी टीम की जय होगी. या फिर कांग्रेस के हाथ को जनता का साथ मिलेगा, इसकी तस्वीर कल साफ हो जाएगी. यह परिणाम मुख्यमंत्री के राजनीतिक भविष्य को भी दिशा देगा.
भाजपा ने तमाम स्थितियों का आकलन करने के बाद अपना अधिकांश जोर मंडी लोकसभा क्षेत्र पर लगाया है. यहां ना केवल भाजपा बल्कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की प्रतिष्ठा भी दांव पर है. भाजपा के लिहाज से यह उपचुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा हिमाचल से हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की युवा पसंद अनुराग ठाकुर भी हिमाचल से संबंध रखते हैं. खुद नरेंद्र मोदी का भावनात्मक लगाव मंडी सीट से है. दिवंगत सांसद राम स्वरूप खुद को पीएम मोदी का सबसे करीबी मानते थे.
पीएम मोदी रामस्वरूप के चुनाव प्रचार के लिए मंडी आए थे. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर मंडी जिले से और भाजपा ने मंडी की सभी सीटें अपनी झोली में डाली. ऐसे में मंडी सीट पर ना केवल पार्टी बल्कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की साख भी दांव पर है. यही कारण है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मंडी सीट पर चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी अपने विश्वस्त नेता महेंद्र सिंह ठाकुर के हाथों रखी. महेंद्र सिंह ठाकुर के नाम एक रिकॉर्ड कि जिस भी चुनाव का प्रबंधन उन्होंने अपने हाथ में लिया भाजपा ने वह बाइ इलेक्शन जीता है.
यह बात अलग है कि सत्ता में रहने के बावजूद इस बार मंडी सीट पर भाजपा को कड़ी चुनौती मिली है. कांग्रेस के पक्ष में सहानुभूति लहर तो है ही, विक्रमादित्य ने भी काफी मेहनत की है. अगर कांग्रेस के चुनाव प्रचार से ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर और कारगिल युद्ध पर की गई टिप्पणियों को अलग कर दिया जाए तो कांग्रेस ने भाजपा को नाकों चने चबवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. भाजपा की मजबूती पर नजर डालें तो सत्ता का साथ, अपनी मंडी का इमोशनल कार्ड मुख्यमंत्री का मंडी से होना मंडी की अस्मिता, खुशाल ठाकुर की लोकप्रियता, सेना के प्रति आम जनता का सम्मान, कारगिल हीरो की छवि सहित अनेक फैक्टर हैं.
भाजपा को महंगाई और पैट्रो पदार्थों के बढ़ते दामों ने चिंता में डाला है. एंटी इनकंबेंसी का फैक्टर भी प्रभावी रहा है. मंडी से अलग अर्की की बात की जाए तो यह सीट कांग्रेस के पास थी और फतेहपुर भी कांग्रेस की झोली में थी. अर्की से वीरभद्र सिंह और फतेहपुर से सुजान सिंह पठानिया जीत कर आए थे. अर्की में कांग्रेस की स्थिति भी खास मजबूत नहीं है. कारण यह है कि किचन कैबिनेट प्रत्याशी की छवि संजय अवस्थी की मानी जाती है.
वहीं, भाजपा में पंडित गोविंद राम की नाराजगी का फैक्टर है. ऐसे में गुटबाजी से जूझ रहे दोनों दलों के चांस फिफ्टी-फिफ्टी हैं. जुब्बल-कोटखाई में भाजपा को चेतन बरागटा फैक्टर जबरदस्त नुकसान पहुंचा रहा है. फतेहपुर में कांग्रेस के पक्ष में सहानुभूति फैक्टर है. प्रदेश भाजपा की कमान सुरेश कश्यप के पास है उनकी अगुवाई में यह पहली बड़ी परीक्षा है यदि उपचुनाव का परिणाम उलटफेर वाला आता है तो मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप के पास एंटी इनकंबेंसी टिकट वितरण जैसे सजे सजाए बहाने हैं.
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