रामपुरः शिमला जिला के रामपुर में इंटक,एटक सहित दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों व दर्जनों राष्ट्रीय फेडरेशन के आह्वान पर केंद्र व राज्य सरकारों की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ शुक्रवार को सीटू से सम्बंधित रामपुर क्षेत्र की सभी यूनियन ने अपने कार्यस्थल पर राष्ट्रीय प्रतिरोध दिवस मनाया.
क्षेत्र के सैकड़ों मजदूरों ने अपने कार्यस्थल व सड़कों पर उतरकर केंद्र व राज्य सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच के रामपुर क्षेत्रीय कमेटी के संयोजक नरेंद्र देष्टा व सह संयोजक नील दत्त ने केंद्र व प्रदेश सरकारों को चेताया कि वह मजदूर विरोधी कदमों से हाथ पीछे खींचें अन्यथा मजदूर आंदोलन तेज होगा.
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के इस संकट काल को भी शासक वर्ग व सरकारें मजदूरों का शोषण करने के लिए इस्तेमाल कर रही है. हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान में श्रम कानूनों में बदलाव इसी प्रक्रिया का हिस्सा है.
अन्य प्रदेशों की तरह ही कारखाना अधिनियम 1948 में तब्दीली करके हिमाचल प्रदेश में काम के घण्टों को आठ से बढ़ाकर बारह कर दिया गया है. इस से एक तरफ मजदूरों की भारी छंटनी होगी. वहीं, दूसरी ओर कार्यरत मजदूरों का शोषण तेज होगा.
फैक्ट्री की पूरी परिभाषा बदलकर लगभग दो तिहाई मजदूरों को चौदह श्रम कानूनों के दायरे से बाहर कर दिया जाएगा. ठेका मजदूर अधिनियम 1970 में बदलाव से हजारों ठेका मजदूर श्रम कानूनों के दायरे से बाहर हो जाएंगे. इन मजदूर विरोधी कदमों को रोकने के लिए ट्रेड यूनियन संयुक्त मंच ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है व श्रम कानूनों में बदलाव को रोकने की मांग की है.
उन्होंने प्रदेश सरकार पर पूंजीपति परस्त होने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि यह सरकार पूरी तरह से मजदूरों के खिलाफ कार्य कर रही है. प्रदेश सरकार ने फैक्ट्री एक्ट 1948 की धारा 51, धारा 54, धारा 55 व धारा 56 में बदलाव करके साप्ताहिक व दैनिक काम के घण्टों, विश्राम की अवधि व स्प्रेड आवर्स में बदलाव कर दिया है. काम के घण्टों को आठ से बढ़ाकर बारह घण्टे करने के मजदूर विरोधी कदम ने इस सरकार की पोल खोल कर रख दी है.
इस निर्णय के कारण फैक्ट्री में कार्यरत लगभग एक तिहाई मजदूरों की छंटनी होना तय है. अभी आठ घण्टे की डयूटी के कारण फैक्ट्री में तीन शिफ्ट का कार्य होता है. बारह घण्टे की ड्यूटी से कार्य करने की शिफ्टों की संख्या तीन से घटकर दो रह जाएगी, जिसके चलते तीसरी शिफ्ट में कार्य करने वाले एक-तिहाई मजदूरों की छंटनी हो जाएगी.
उन्होंने कहा है कि इस निर्णय के फलस्वरूप बारह घण्टे कार्य करने वाले मजदूर बंधुआ मजदूर की स्थिति में पहुंच जाएंगे. इससे मजदूरों को पांच घण्टे के बाद अनिवार्य रूप से मिलने वाली खाने सहित विश्राम की अवधि का समय बढ़कर छः घण्टे हो जाएगा. यूरोप सहित दुनिया के अन्य कई देशों में मजदूर कुल 6 घण्टे के कार्यदिवस की लड़ाई लड़ रहे हैं और भारत के कई राज्यों में सरकारी अधिसूचना के माध्यम से मजदूरों पर बारह घण्टे का कार्य दिवस थोप दिया गया है. जिसे प्रदेश का मजदूर वर्ग किसी भी तरह बर्दाश्त नहीं करेगा.