शिमला:यह एक दुर्लभ संयोग है. हिमाचल सरकार में पंचायती राज विभाग के साथ पशुपालन और कृषि विभाग का जिम्मा जिस कैबिनेट मंत्री के पास है, वो वास्तविक जीवन में भी पशु प्रेमी हैं. जी हां, ये कैबिनेट मंत्री हैं वीरेंद्र सिंह कंवर. हिमाचल में जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के कैबिनेट मंत्री वीरेंद्र कंवर विगत 18 साल से एक गोशाला का संचालन कर रहे हैं. यह गोशाला ऊना जिले में है.
बड़ी बात यह है कि वीरेंद्र कंवर ने इस गोशाला की नींव उस समय रखी, जब वे केवल विधायक थे. वे पहली बार वर्ष 2003 में विधायक बने थे. वीरेंद्र कंवर के मन में आरंभ से ही गोवंश की सेवा का भाव था. डेढ़ दशक पहले हिमाचल की सड़कों पर बेसहारा गोवंश धक्के खाने को मजबूर था.
वीरेंद्र कंवर बताते हैं कि उन्हें गर्मी, सर्दी और बरसात में सड़कों पर बे-सहारा घूम रहे गोवंश को देखकर पीड़ा का अनुभव होता था. उनके मन में गोशाला स्थापित करने का विचार आया. मंत्री के अनुसार 18 साल पहले उन्होंने समानधर्मा मित्रों और इलाका वासियों के सहयोग से ऊना जिले के थानाकलां में गोशाला की शुरुआत की.
यह गोशाला श्री राधे गोपाल गोधाम के नाम से संचालित हो रही है. इसके लिए बाकायदा ट्रस्ट का गठन किया गया है. यह गोशाला श्री कामधेनु मानव सेवा ट्रस्ट के नाम से पंजीकृत है. समय के साथ-साथ गोसेवा का यह प्रकल्प बढ़ता गया और अब यहां इस गोशाला के अलावा अन्य सहयोगी गोशालाओं में डेढ़ हजार से अधिक गोवंश सहारा ले रहा है.
उन्होंने कहा कि उनका पूरा परिवार यहां आकर गोसेवा करता है. इससे इलाका वासियों को भी प्रेरणा मिली है और अब लोग अपना जन्मदिन भी गोसेवा के माध्यम से मनाते हैं और समय-समय पर गोशाला में यज्ञ भी होते हैं. अब लोग खुद आकर गोशाला में सेवा कार्य संभालते हैं. गोशाला से मिलने वाला गोधन यानी गोबर, गोमूत्र और गोदुग्ध से आय भी होती है.
वीरेंद्र कंवर याद करते हैं कि आरंभ में जब गोशाला की स्थापना की गई थी तो चारे और अन्य जरूरी वस्तुओं की कमी महसूस होती थी. पूर्व में राज्यसभा सांसद रही विमला कश्यप सूद ने गोशाला के लिए 10 लाख रुपए की सहयोग राशि दी. इलाके की जनता ने भी अंशदान के माध्यम से 10 लाख रुपए जुटाए. खुद विधायक के तौर पर वीरेंद्र कंवर व उनके परिवार ने भी नियमित रूप से गोशाला के लिए अंशदान किया.
अब दूर-दूर से लोग स्वयं ही गोवंश के लिए चारा भेंट करने आते हैं. इसके अलावा थानाकलां और आसपास के लोग गोशाला में आकर सफाई और अन्य कार्यों में स्वेच्छा से हाथ बंटाते हैं. इसके अलावा कुटलैहड़ में चल रही गोशाला के लिए तो सरकारी अनुदान भी नहीं लिया जाता. वहां सारा इंतजाम दानी सज्जनों के सहयोग से होता है.
उल्लेखनीय है कि हिमाचल में हाईकोर्ट ने सरकार को सड़कों पर धक्के खाने को मजबूर बेसहारा गोवंश की सुध लेने के आदेश दिए हैं. हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार पहले तो हर पंचायत में गोशाला निर्माण का आदेश दिया गया था जब राज्य सरकार ने अदालत से आग्रह किया कि हर पंचायत में गोशाला निर्माण संभव नहीं है अलबत्ता जरूरत के अनुसार गोशालाएं बनाकर बे सहारा पशुधन को उसमें आश्रय दिया जा सकता है.